बात 29 नवंबर साल 2003 की है। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के एक गांव जमालीपुर में एक छोटी सी बच्ची का अपहरण हो गया। पढ़ाई-लिखाई में होनहार इस बच्ची का अपहरण उस वक्त हुआ जब वो स्कूल जा रही थी। बच्ची के अपहरण की खबर जंगल में आग की तरह पल भर में ही पूरे गांव में फैल गई। पुलिस ने इस बच्ची को तलाशने में पूरी ताकत लगाई लेकिन वो नाकाम रही। इधर बच्ची की तलाश जारी थी और उधर बच्ची के पिता विद्याराम यादव को पता चला कि उनकी पांच संतानों में सबसे बड़ी बेटी रेणु का अपहरण दुर्दांत डाकू चंदन यादव ने किया है।

चंदन यादव ने विद्याराम से रेणु को रिहा करने के लिए 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी। विद्याराम के पास महज 5-6 बीघा जमीन थी जिसपर वो खेती करते थे और सारी खेत बेचकर भी वो रंगदारी की रकम देने में नाकाम थे। लिहाजा अपनी बच्ची को वापस लाने के लिए वो पुलिस के दर पर ठोकरे खाते रहे लेकिन कुख्यात डाकू के आगे उस वक्त पुलिस भी लाचार नजर आई। इधर जब चंदन यादव को रेणु के पिता से फिरौती की रकम नहीं मिली तो उसने उस फूल सी बच्ची को प्रताड़ित करना शुरू दिया। कहा जाता है कि कई दिनों तक रेणु के हाथ-पैर बांध कर रखे गए और उसे सिर्फ इतना ही खाना दिया गया जिससे की उसकी सांसें चलती रहें। अंत में डाकूओं ने इस बच्ची के साथ वो किया जिसका अंदाजा किसी को नहीं था। इन डाकुओं ने इस बच्ची के हाथ से कलम छिनकर उसे बंदूक थमा दिया और उसे गैंग की दस्यु सुंदरी घोषित कर दिया।

रेणु ने उस वक्त डाकुओं से उसे छोड़ देने की विनती की थी लेकिन डाकुओं ने उसकी एक नहीं सुनी। इसके बाद चंदन गैंग ने चंबल की बीहड़ों में हत्या, लूट, डकैती और अपहरण जैसी कई वारदातों को अंजाम दिया। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के जंगलों में रेणु हाथों में बंदूक लिए डाकुओं के साथ भटकती रही। 4 जनवरी 2005 को चंदन और रामवीर गुर्जर गैंग के बीच गैंगवार हुआ और गोलीबारी में चंदन मारा गया। रामवीर ने उस वक्त रेणु को बंधक बना लिया। इस घटना के कुछ ही दिनों बाद रामवीर की बुरी नजर रेणु पर पड़ गई और उसने एक दिन बदनीयती से रेणु पर हमला किया। खुद को बचाने की खातिर उस वक्त रेणु ने SLR की सारी गोलियां रामवीर के सीने में डाल दी थी।

रामवीर की हत्या के बाद रेणु घने बीहड़ों में करीब एक हफ्ते तक भटकती रही। इसी साल रेणु किसी तरह अपने घर पहुंच गई और यहां पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। रेणु पर करीब 17 मामले दर्ज थे। इस मामले में रेणु और उसके परिवार वालों ने लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना किया। करीब सात साल तक अदालती लड़ाई लड़ने के बाद रेणु 29 मई, 2012 को लखनऊ के नारी बंदी निकेतन से रिहा हो गई। (और…CRIME NEWS)