राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की गुजरात इकाई के मुखिया राज शेखावत पर पुलिस ने बुधवार को कच्छ जिले के रापर शहर में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान अपने समुदाय के लोगों को कथित रूप से तलवार उठाने के लिए उकसाने पर केस दर्ज कर लिया। गुरुवार को रामजी भद्रू नाम के एक व्यक्ति की शिकायत पर रापर पुलिस ने शेखावत को आईपीसी की धारा 153-ए (1) (ए) (दो जाति-समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाने), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (2) (आपराधिक धमकी), और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) के तहत केस दर्ज किया है। रापड़ पुलिस ने कहा कि शुक्रवार शाम तक इस संबंध में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और न ही किसी को हिरासत में ही लिया गया है।

समुदाय को भड़काने का आरोप : अपनी शिकायत में भद्रू ने कहा कि शेखावत ने बुधवार को रापर में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए अपने समुदाय के सदस्यों से उन दलितों को “खत्म” करने का आग्रह किया, जो रापर तालुका अनुसुचित जाति खेती सामुदयिक सहकारी मंडली को आवंटित भूमि पर कब्जा करने का दावा करते हैं, या ऐसे भूमि पर प्रवेश करते हैं या अत्याचार की शिकायत दर्ज करते हैं।

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राज्य सरकार ने 1980 में 2500 एकड़ भूमि आवंटित की थी : रापर तालुका अनुसुचित जाति खेती सामुदायिक सहकारी मंडली रापर के दलितों की सामुदायिक खेती करने की एक सहकारी सोसायटी है। राज्य सरकार ने 1980 में एग्रीकल्चर लैंड सीलिंग एक्ट के तहत सरप्लस घोषित 2500 एकड़ भूमि का आवंटन किया था। हालांकि, भूमि सीमा अधिनियम लागू होने से पहले यह भूमि जिनके पास थी, वे लोग अब भूमि बांटने का विरोध कर रहे हैं। प्रतिरोध के बावजूद, राज्य सरकार ने पिछले 18 महीनों में सहकारी समाज को रापर तालुका के 42 गांवों में फैले 2,500 एकड़ जमीन पर भौतिक कब्जा दे दिया है।

शेखावत बोले, मैं केस का सामना करूंगा : भद्रू, जो इस सहकारी सोसायटी की कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के रापर तालुका इकाई के सचिव हैं, ने दावा किया कि वह उस सभा स्थल पर मौजूद थे जहां शेखावत ने भाषण दिया था। उन्होंने अपनी शिकायत के साथ भाषण की एक सीडी भी प्रस्तुत की। इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए शेखावत ने कहा कि वह मुकदमा लड़ने के लिए तैयार हैं। “मैं भड़काऊ भाषण देने के आरोप से लड़ने के लिए तैयार हूं। हालांकि, अत्याचार का आरोप पूरी तरह से निराधार है। करणी सेना के नेता ने शुक्रवार को द इंडियन एक्सप्रेस को फोन पर बताया, “मैंने कहा था कि अगर प्रशासन राजपूतों (क्षत्रियों) की संपत्ति की रक्षा नहीं करता, तो उन्हें अपनी संपत्ति की रक्षा खुद करनी चाहिए।”