इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद को दुनिया की सबसे ताकतवर और खतरनाक एजेंसियों में एक माना जाता है। कहा जाता है कि मोसाद अपने मिशन को कामयाब बनाने के लिए जी-जान लगा देती है। लेकिन साल 1997 में वह मौका भी आया जब मोसाद का एक मिशन फेल हो गया और फिर दुनियाभर में उसकी बेइज्जती हुई थी।

दरअसल, साल 1997 में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू थे। उन्हीं के कार्यकाल में हमास के लीडर खालिद मशाल को मारने के लिए पूरी योजना बनाई गई। खालिद मशाल उन दिनों जॉर्डन में निर्वासन की जिंदगी गुजार रहा था। क्योंकि, कई सालों पहले 1967 में ही उसके परिवार सहित करीब 3 लाख फिलिस्तीनियों को इजराइली बलों द्वारा निष्कासित कर दिया गया था। 90 के दशक में खालिद मशाल हमास के साथ जुड़ा और फिर बाद में उसका लीडर बन गया।

ऐसे में मोसाद ने मशाल को मारने के लिए एक मिशन लांच किया। इस मिशन के मुताबिक जॉर्डन के अम्मान शहर में खालिद मशाल को ठिकाने लगाने की योजना थी। पूरी प्लानिंग को मोसाद के जासूसों को बताया गया। इसके बाद मोसाद के 6 जासूस कनाडाई पासपोर्ट पर अम्मान पहुंचे। इन टीम के दो जासूसों को टारगेट को मारने की जिम्मेदारी दी गई थी। यह दोनों कनाडाई टूरिस्ट बनकर हमास लीडर खालिद मशाल के आसपास पहुंचने के प्रयास में थे।

मोसाद के एजेंट्स को फेंटानाइल नाम का जहर दिया गया था, जो त्वचा के माध्यम से शरीर में चला जाता था। मोसाद ने मिशन शुरू किया और जैसे ही खालिद मशाल अपने ऑफिस की तरफ बढ़ा, जासूसों ने एरोसोल उपकरण का उपयोग करके जहर शरीर में पहुंचा दिया। हालांकि, इसी बीच खालिद के बॉडीगार्डों ने मोसाद एजेंटों को दौड़ा कर पकड़ लिया। फिर पता चला कि चार एजेंट जॉर्डन के ही इजराइली दूतावास में छिपे हुए थे।

मिशन फेल हो गया और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने पूरी प्रक्रिया को स्वीकार किया। दूसरी तरफ जॉर्डन के किंग ने चेतावनी दी कि यदि मशाल को कुछ हुआ तो शांति संधि टूट जाएगी। साथ ही एजेंट्स को भी कठोर सजा मिलेगी। इसके बाद एजेंट्स को छुड़ाने के बदले में इजराइल को जहर का एंटिडोट भी देना पड़ा और हमास के शेख अहमद यासीन और उसके साथियों को छोड़ना भी पड़ा था।

जब मोसाद का यह मिशन फेल हुआ तो दुनियाभर में उनकी खूब किरकिरी हुई थी और बेंजामिन नेतान्याहू को माफी भी मांगनी पड़ी थी। फिर मोसाद कुछ सालों तक शांत रही थी लेकिन साल 2004 में जब इज़राइल ने यासीन की हत्या कर दी तो खालिद मशाल हमास का नेता बन गया था।