आज देश के कुछ ऐसे IPS अधिकारियों की बात करेंगे जिन्होंने न सिर्फ देश में अपराध कम करने में अहम रोल अदा किया। बल्कि उनके नाम का खौफ इतना है कि अपराधी पहले ही डर जाते हैं। देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने का काम पुलिस का होता है और ये पुलिस अधिकारी इसका जीता-जागता उदाहरण भी हैं।

संजीव यादव: संजीव कुमार यादव अभी दिल्ली पुलिस में डीसीपी हैं। संजीव कुमार को 10 राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया जा चुका है। संजीव ने 2008 के ‘बाटला हाउस एनकाउंटर’ में अहम रोल प्ले किया था। हालांकि इस एनकाउंटर पर उस दौरान कई सवाल भी उठाए गए थे, लेकिन बाद में ये साबित हो गया था कि संजीव ने जो किया वो बहुत बहादुरी का काम है। उस एनकाउंट पर बॉलीवुड फिल्म ‘बाटला हाउस’ भी बन चुकी है, जिसमें जॉन अब्राहम ने संजीव कुमार का किरदार निभाया था।

आरिफ शेख: साल 2017 में बस्तर के एसपी रहे आरिफ शेख को अमेरिका में ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ ऑफ पुलिस’ सम्मान दिया गया था। उन्हें ये सम्मान उनके एक कैंपेन ‘आमचो बस्तर, आमचो पुलिस’ के लिए दिया गया था। इस कैंपेन का उद्देश्य आदिवासी समुदाय और पुलिस के बीच तालमेल बढ़ाना है। इसके अलावा वह कई माओवादियों का सरेंडर भी करवा चुके हैं।

संजुकता पारशर: असम की आईपीएस अधिकारी संजुकता पाराशर की कहानी कई लोगों को प्रेरित करती है। उन्होंने सिर्फ पंद्रह महीने में 16 से ज्यादा बोडो उग्रवादियों का सरेंडर करवाया था और करीब पांच दर्जन से ज्यादा उग्रवादियों को गिरफ्तार किया था। बहुत कम समय में बोडो उग्रवादियों के बीच संजुकता पाराशर का नाम एक नया खौफ बन गया है। इसके अलावा वह कई नक्सलियों को भी पकड़ चुकी हैं।

रूपा मुद्गल: रूपा का नाम भी देश के निडर आईपीएस अधिकारियों में शामिल है। रूपा जब जेल की डीआईजी थीं तो उन्होंने खुलासा किया था कि वी.के शशिकला को जेल में स्पेशल ट्रीटमेंट मिल रहा है। उन्होंने जेल के अंदर चल रहे भ्रष्टाचार के बारे में भी बताया था। हालांकि इसके बाद उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था और उनका ट्रांसफर तक भी कर दिया गया था।

श्रेष्ठा ठाकुर: 2017 यूपी-कैडर की आईपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर को कौन नहीं जानता? एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें श्रेष्ठा बीजेपी कार्यकर्ताओं का चालान काटती हुई नजर आ रही थीं क्योंकि वह बिना कागज और लाइसेंस के मोटरसाइकिल चला रहे थे। इसके अलावा श्रेष्ठा ने पांच बीजेपी कार्यकर्ताओं को तो जेल भी भेज दिया था क्योंकि वह सरकारी काम में बाधा उत्पन्न कर रहे थे।