दुबई के रहने वाले गैंगस्टर संदीप उर्फ काला जठेड़ी के खिलाफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने Maharashtra control of organised crime act (MCOCA) लगाया है। पुलिस ने साफ किया है कि इस कुख्यात गैंगस्टर के लिए उसके गुर्गों ने पिछले 10 महीनों में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में 25 से ज्यादा हत्याएं की हैं। जठेड़ी के बारे में बताया जा रहा है कि वो गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी है और करीब 100 क्रिमिनलों के एक गैंग को ऑपरेट करता है।
साल 2020 के फरवरी के महीने में काला जठेड़ी फरीदाबाद में पुलिस की हिरासत से फरार हो गया था। जठेड़ी की गिरफ्तारी पर 7 लाख रुपए का इनाम भी घोषित है। छत्रसाल स्टेडियम में ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार के साथ मारपीट में घायल हुए सोनू महाल के बारे में बताया जा रहा है कि वो जठेड़ी का काफी करीबी था। पुलिस ने बताया है कि कुछ महीने पहले स्पेशल सेट की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट ने काला जठेड़ी और लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ें 6 बदमाशों को पकड़ा था। पुलिस के मुताबिक जठेड़ी के इशारे पर 6 बदमाशों ने 15 हत्याएं की थीं। यह भी खुलासा हुआ था कि जठेड़ी विदेश भाग गया है।
डीसीपी (स्पेशल सेल) मानिषी चंद्रा ने कहा कि इन आरोपियों को दबोचने के बाद हमारी टीम में शामिल इंस्पेक्टर विक्रम दाहिया और संदीप डबास को यह पता चला कि यह सभी आरोपी संगीन जुर्म में शामिल हैं। अलग-अलग देशों में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर यह आरोपी काम कर रहे थे। गैंग का लीडर वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा के बारे में आशंका जताई जा रही है कि वो थाइलैंड में है, सतेंद्रजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार कनाडा में और काला जठेड़ी के बारे में आशंका है कि वो भारत छोड़ कर किसी अज्ञात विदेशी स्थान पर छिपा बैठा है। गैंग के यह सदस्य विदेश में बैठ कर गैंग चला रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक इन तीनों क्रिमिनलों के सहयोगियों ने पुलिस को बताया है कि उनके आका दाऊद इब्राहिम और उसकी डी-कंपनी से प्रेरित हैं तथा उन्होंने बाहर से बैठ कर ही गैंग चलाने का निर्णय लिया है। पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया है कि वो अपने गुर्गों से बातचीत के लिए Voice over Internet Protocol (VoIP) कॉल्स और अलग-अलग आईडी से लिये गये नंबर्स का ही इस्तेमाल करते हैं।
यह बात भी सामने आई है कि सभी आऱोपी कोडवर्ड के जरिए अपने बॉस से बातचीत करते हैं। इनकी गिरफ्तारी के बाद यह बात सामने आई है कि यह गुर्गे अपने बॉस काला राना को ‘टाइगर’, काला जठेड़ी को ‘अल्फा’ और गोल्डी बरार को ‘डॉक्टर’ कहते हैं।
‘टाइगर’ सभी गैंग के सदस्यों का कम्यूनिकेशन हब है। ‘अल्फा’ गुर्गों को टारगेट के बारे में बताता है। जबकि ‘डॉक्टर’ गैंग मेंबरों को आर्थिक और अन्य सुविधाएं मुहैया कराता है। पुलिस के मुताबिक जिन बदमाशों को पकड़ा गया है वो रंगदारी, अवैध शराब सप्लाई (खासकर शराबबंदी वाले राज्य) करने समेत अन्य कई गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल हैं।