देश में लगातार साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि हो रही है। अक्सर लोग लुभावने ऑफर और डिस्काउंट के चक्कर में फर्जी वेबसाइट के जरिए ठगी का शिकार हो जाते हैं। बता दें कि जालसाज नामी कंपनी या ब्रांड के नाम पर फर्जी वेबसाइट तैयार करते हैं, जो असली वेबसाइट से हूबहू मिलती है। यहां तक कि इन वेबसाइट्स के लिंक और यूआरएल भी कुछ शब्दों के बदलाव के साथ मिलते-जुलते ही होते हैं जो झांसा देने के लिए पर्याप्त होते हैं।

ऑनलाइन ठगी के अधिकतर मामलों में देखा गया है कि जालसाज ईमेल और एसएमएस के माध्यम से स्पैम लिंक भेजकर क्लिक करने को कहते हैं। इसके अलावा, लोगों में असली और नकली वेबसाइट की पहचान न कर पाना भी बड़ी समस्या रही है। इसलिए आज आपको हम कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप फर्जी और असली वेबसाइट में फर्क खोज पाएंगे। साथ ही आप ठगी का शिकार भी नहीं होंगे।

शब्दों पर ध्यान देना आवश्यक: यदि आपके पास किसी भी तरह का लिंक आता है, जो आपको संदिग्ध लगता है तो उस पर क्लिक न करें। इसके साथ अगर आप किसी जरूरी काम के लिए कोई वेबसाइट खोल रहे हैं तो यह सुनिश्चित कर लें कि वह सुरक्षित है या नहीं। अधिकतर फर्जी ईमेल और वेबसाइट में शब्दों की स्पेलिंग गलत लिखी होती हैं। इसलिए पहले ध्यान से वेबसाइट के स्पेलिंग को देखें और जानकारी क्रॉस चेक अवश्य करें। क्योंकि असली साइट या मेल में ऐसी गलतियां नहीं होती हैं।

ब्रांड का सहारा लेते हैं ठग: अक्सर साइबर अपराधी बड़े ब्रांड व मशहूर कंपनियों के नाम के सहारे लोगों को झांसे में लेते हैं। उसी नाम से मिलती-जुलती वेबसाइट तैयार कर लोगों को लिंक भेजते हैं। इसलिए जब कभी भी संदेह की स्थिति उत्पन हो तो वेबसाइट के डोमेन नेम को जरूर जांच लें। इसके अलावा इंटरनेट पर सर्च के माध्यम से मिलान करें अन्यथा आप जालसाजी के शिकार हो सकते हैं।

URL को भी जांच लें: आजकल ठग किसी भी असली वेबसाइट से मिलता-जुलता यूआरएल फर्जी साइट में उपयोग करते हैं। ऐसे में अगर साइट का यूआरएल ‘https’ से शुरू होता है तो यह एक असली वेबसाइट है, जबकि फर्जी और असुरक्षित साइट ‘http’ से शुरू होती हैं। इसलिए किसी भी भेजे गए लिंक को खोलने से पहले माउस को लिंक पर ले जाएं। इस प्रक्रिया में साइट का यूआरएल और हाइपरलिंक पॉप अप के रूप में दिख जाएगा। जिससे आपको वेबसाइट पहचानने में मदद मिलेगी।

एक तरीका ऐसा भी: यदि आपको किसी भी साइट पर कोई भी जानकारी (कांटेक्ट नंबर, ईमेल आदि) मौजूद न हो तो समझ जाएं कि वेबसाइट फर्जी है। इसके अलावा, आप इंटरनेट पर transparencyreport.google.com सर्च कर किसी भी साइट के सुरक्षित/असुरक्षित होने के बारे में पता लगा सकते हैं। साथ ही संदिग्ध वेबसाइट में नीचे स्क्रॉल कर कॉपीराइट संबंधी जानकारी अवश्य देखें। वहीं, जो साइट ओरिजनल होती हैं उनके यूआरएल के आगे लॉक का निशान बना होता है।