हरियाणा के चुनावी परिणाम आने के बाद हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार गोपल कांडा ने सिरसा से जीत दर्ज की है। गोपाल कांडा कई काडों को लेकर भी पहले काफी चर्चित रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा कांड है एयरहोस्टेस आत्महत्या हत्याकांड। एयरहोस्टेस की मौत के वक्त साल 2012 में हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा कैबिनेट में मंत्री पद संभाल रहे गोपाल कांडा को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था।
53 साल के गोपाल कांडा राजनीति में आने से पहले एक बिजनेसमैन थे। जूता-चप्पल के कारोबार में किस्मत आजमाने वाले गोपाल कांडा इस कारोबार में ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर पाए। साल 1998 में गोपाल कांडा रियल-एस्टेट के कारोबार में आ गए। गोपाल कांडा सबसे पहले साल 2007 में हुए उस कांड में सबसे ज्यादा चर्चित हुए जब वो अपनी कार में 4 क्रिमिनलों के साथ घूमते हुए पकड़े गए थे। उस वक्त केंद्र सरकार ने हरियाणा सरकार से कहा था कि वो गोपाल कांडा के बारे में जांच कराए।
राजनीतिक पार्टी INLD (Indian National Lok Dal) से जुड़ने के बाद गोपाल कांडा ने साल 2009 में सबसे पहले हरियाणा चुनाव में भाग्य आजमाने का फैसला किया था। कांडा उस वक्त निर्दलीय लड़े थे और चुनाव में जीत भी हासिल की थी। उस वक्त हुड्डा सरकार बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई थी और तब कांडा ने सरकार को समर्थन दिया था।
इस वक्त तक कांडा एयरलाइन ‘MDLR’ के मालिक बन गए थे। जूता-चप्पल के कारोबार से एयरलाइन के मालिक और फिर ऊंची राजनीतिक रसूख हासिल करने वाले कांडा का नाम साल 2012 में दूसरी बार सबसे बड़े कांड में उछला था। इस साल गोपाल कांडा को अपनी ही एयरलाइंस की एक एयरहोस्टेस का यौन उत्पीड़न करने और उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एयरहोस्टेस की लाश उसके घर के कमरे में लटकती मिली थी और वहां से जो सुसाइड नोट मिला था उसमें गोपाल कांडा पर कई संगीन आरोप लगाए गए थे। बाद में इस एयरहोस्टेस की मां ने भी सुसाइड कर लिया था।
इस मामले में पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र में कांडा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने), धारा 471 (धोखाधड़ी), और उत्पीड़न सहित आईपीसी की कई अन्य धाराएं लगाई हैं। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 भी लगाई गई है। आरोप पत्र में कांडा पर एयरहोस्टेस का गर्भपात कराने का भी आरोप लगाया गया है। एयरहोस्टेस सुसाइड केस में गोपाल कांडा की कंपनी के एक कर्मचारी अरुण चड्डा पर भी गंभीर आरोप हैं।
इस केस में गोपाल कांडा को जेल भी जाना पड़ा था। साल 2014 में वो जमानत पर बाहर आए थे और इसी साल उन्होंने चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए। साल 2016 में गोपाल कांडा और उनके भाई गोविंद कांडा पर सिरसा में अवैध संपत्ति जुटाने का आरोप लगा था। (और…CRIME NEWS)

