तकनीक के अपने नफा-नुकसान हैं। आजकल के दौर में लोग जहां क्रिप्टो करेंसी की ओर भी बढ़ रहे हैं, वहीं साइबर सुरक्षा भी महत्वपूर्ण मसला है। इसी क्रम में क्रिप्टोकरेंसी की लूट के मामले में एक खबर सामने आई है, जहां हैकर्स ने DeFi प्लेटफ़ॉर्म से 320 मिलियन डॉलर (करीब 2400 करोड़ रूपये) की क्रिप्टोकरेंसी चुरा ली।

क्रिप्टो के क्षेत्र में तेजी सी आगे बढ़ रहे डेफी सेक्टर (DeFi sector) के लिए काफी बड़ा झटका लगा है। वार्महोल ने इस संबंध में ट्विटर पर जानकारी देते हुए बताया था कि उनके अकाउंट से ईथर के एक वर्जन की 1,20,000 यूनिट का इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि कि ईथर (ether) को दुनिया की दूसरी बड़ी क्रिप्टोकरेंसी माना जाता है। साथ ही वार्महोल ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो एक क्रिप्टो नेटवर्क (crypto network) को दूसरे से जोड़ने व इनफार्मेशन साझा करने की अनुमति देता है।

क्रिप्टो करेंसी की लूट के मामले में वार्महोल ने हैकर्स को पैसा वापस करने के बदले 10 मिलियन डॉलर का इनाम देने की पेशकश की है। वहीं, लंदन की ब्लॉक चेन फर्म ने कहा था कि हैकर्स ने लगभग 94,000 टोकन बनाए थे, जिन्हें बाद में इथेरियम में तब्दील कर दिया था। बीते एक साल में डेफी सेक्टर में लूट और जालसाजी की घटनाओं में भारी उछाल आया है। इस साल की शुरुआत में भी डेफी की कंपनी क्यूबिट फायनेंस (Qubit Finance) पर हैकर्स ने चेन तोड़ने की कोशिश की थी। इस साइबर हमले में डेफी के नेटवर्क को 80 मिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचा था।

वार्महोल ने घटना के बाद बताया था कि वह नेटवर्क के बैकअप पर काम कर रहे हैं। दरअसल, डेफी प्लेटफॉर्म (DeFi platforms) कथित तौर पर ग्राहकों को क्रिप्टोकरंसी में कर्ज देने या लेने और बचत करने की अनुमति देते हैं। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया में बैंकिंग फायनेंस जैसे पारंपरिक माध्यम को दरकिनार कर दिया जाता है।

वहीं, Chainalysis ने अपनी वार्षिक क्रिप्टो क्राइम रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ बताया था कि साल 2021 में DeFi नेटवर्क में लेनदेन की मात्रा बढ़कर 912 प्रतिशत तक जा पहुंची थी। साथ ही डेफी नेटवर्क की साइट्स में भारी नकदी का निवेश किया गया है, जिससे साफ़ जाहिर होता है कि यूजर क्रिप्टोकरेंसी में दिलचस्पी दिखा रहा है।

इसके अलावा, एक्सपर्ट्स का मानना है कि DeFi नेटवर्क की डिजाइन और कोडिंग में भारी कमी (बग) हैं, जिसके कारण हैकर्स बीते 2021 से लगातार डेफी को निशाना बना रहे हैं। गौरतलब है कि, पिछले साल अगस्त में भी हैकर्स ने POLY नेटवर्क से 61 मिलियन डॉलर से अधिक के डिजिटल कॉइन चुरा लिए थे। इसे अब तक की सबसे बड़ी क्रिप्टो लूट माना जाता है। साथ ही जापान के दो बड़े नेटवर्क के साथ भी 2014 व 2018 में 50 मिलियन डॉलर से अधिक की लूट हुई थी।