देश के सबसे चर्चित हत्याकांड में शामिल रहा बेअंत सिंह हत्याकांड एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बेअंत सिंह हत्या मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की सजा संबंधी याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। इस याचिका को राजोआना के वकील की तरफ से दायर किया गया था। बता दें कि, पंजाब के सीएम रहे बेअंत सिंह की हत्या उस दौर में हुई थी, जब पूरा सूबा अलगाववाद की आग से घिरा हुआ था।

वारदात के दिन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह चंडीगढ़ स्थित सचिवालय में मौजूद थे और उन्हें बम से उड़ा दिया गया था। इस बम धमाके में बेअंत सिंह के अलावा करीब डेढ़ दर्जन लोग मारे गए थे। बेअंत सिंह को पंजाब में अलगाववादी ताकतों पर काबू करने के लिए जाना जाता था। बेअंत सिंह ने साल 1992 में पंजाब के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर उस दिन हुआ क्या था..

80-90 के दशक में पंजाब में अलगाववाद का दौर था, जिसे काबू करने के लिए लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा। प्रदेश का माहौल थोड़ा संभला तो बेअंत सिंह सीएम बने लेकिन चुनौती अभी भी पैर पसार रही थी। बेअंत सिंह अपनी समझ-बूझ से इस आग को काफी हद तक बुझाने में सफल रहे लेकिन कुछ सालों बाद खुद भी इसी की चपेट में आ गए।

बेअंत सिंह, 31 अगस्त 1995 को सीएम सचिवालय के अंदर कार में बैठे थे कि तभी एक जोरदार धमाका हुआ। कुछ मिनटों तक चारों तरफ बस धमाके की गूंज थी, धूल का गुबार था और फिर सन्नाटा छा गया। इसके बाद लोगों ने घटनास्थल पर पहुंचकर देखा कि चारों तरफ केवल खून ही खून और मांस के चीथड़े पड़े हुए थे। इस धमाके में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की जान चली गई। पता चला कि पंजाब पुलिस का ही एक कर्मचारी दिलावर सिंह सुसाइड बॉम्बर बनकर आया था।

इस घटना के बाद बलवंत सिंह राजोआना नाम का शख्स गिरफ्तार हुआ, जो खुद योजना असफल होने पर आत्मघाती हमले के लिए तैयार था। हत्या मामले में मुकदमा चला और दो साल बाद 1997 में जुर्म कबूल कर लिया। इस पूरे हमले के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के स्वयंभू कमांडर जगतार सिंह तारा का नाम सामने आया था।

साल 2007 की 27 जुलाई में बेअंत सिंह हत्या मामले में बलवंत सिंह, जगतार सिंह तारा के साथ 4 अन्य (नसीब सिंह, शमशेर सिंह, गुरमीत सिंह, लखविंदर) को दोषी करार दिया गया। वहीं एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया गया। दोषी करार देने के तीन दिन बाद 31 जुलाई को बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह, जगतारा सिंह को मौत की सजा सुनाई गई। जबकि शमशेर सिंह, गुरमीत सिंह, लखविंदर को उम्रकैद और नसीब को 10 साल की सजा मिली।

इस फैसले के खिलाफ जगतारा सिंह ने हाई कोर्ट में अपील की तो उसकी मौत की सजा उम्रकैद में बदल गई। हालांकि, बलवंत सिंह राजोआना के सजा बरकरार रखी गई थी। बता दें कि, बलवंत सिंह राजोआना खुद भी पंजाब पुलिस का हिस्सा था, लेकिन 1990 के समय उसके तार खालिस्तानी अलगाववादी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ गए थे। फिलहाल, बलवंत सिंह राजोआना की सजा को बदलने की प्रक्रिया चल रही है और वह पिछले 25 वर्षों से जेल में है।