छत्तीसगढ़ के कांकेर में अवैध खनन की रिपोर्टिंग कर रहे कुछ पत्रकारों की पिटाई कर दी गई। इस पिटाई में घायल एक पत्रकार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि ‘कांग्रेस विधायक के गुंडों ने मुझे और एक अन्य पत्रकार को पीटा क्योंकि हम अवैध बालू खनन में उनकी भूमिका को लेकर रिपोर्टिंग कर रहे थे। पुलिस को जानकारी थी कि वो हमें धमकियां देते हैं लेकिन पुलिस ने कुछ भी नहीं किया।’

हिन्दी दैनिक ‘Bhumkal Samachar’ के 55 साल के संपादक कमल शुक्ला अब इस मामले को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार कहे जाने वाले कमल शुक्ला का आऱोप है कि उनके तथा अन्य पत्रकारों के साथ हुई इस मारपीट में स्थानीय कांग्रेस नेता का आरोप है। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें धमकियां दी गई थीं कि वो थाने में जाकर पिटाई की रिपोर्ट ना दर्ज कराएं।

इधर पुलिस ने कमल शुक्ला के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वहां पत्रकारों के 2 संगठनों के बीच मारपीट हुई थी और दोनों ही पक्ष से केस दर्ज कराया गया है। कमल शुक्ला के बारे में बताया जा रहा है कि वो कांकेर तथा आसपास के इलाकों में बड़े पत्रकार के तौर पर जाने जाते हैं और इस मारपीट के विरोध में वो जिला कलेक्टर के कार्यालय के सामने ही धरने पर बैठ गए हैं।

उनका कहना है कि पुलिस पत्रकारों के दो संगठनों में मारपीट की जो बात कह रही है वो पूरी तरह से निराधार है। पुलिस जिस आरोपी को पत्रकार बता रही है वो वर्कर यूनियन का नेता है और एक अखबार चलाता है। इस मामले के दूसरे आरोपी कांग्रेस नेता और उनके समर्थक हैं।

कमल शुक्ला का आरोप है कि कांग्रेस विधायक के समर्थकों ने उनपर पिस्टल भी तान दिया था। इस मामले में उन्होंने अपनी एक याचिका राज्य के गर्वनर अनुसूइया उईकी को भी भेजा है और इसमें कई कांग्रेसी नेताओं के नाम हैं। उनका यह भी कहना है कि मेरे अलावा पत्रकार जीवनंदा हल्दर और सतीश यादव पर कोतवाली पुलिस स्टेशन के सामने हमला किया गया।

यहां मारपीट में घायल पत्रकारों का कहना है कि कांग्रेस नेता ने थाने पर हंगामा खड़ा किया। वहां मौजूद पुलिस ने उन्हें शांत करने के लिए कुछ नहीं किया। यह पूरी घटना थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ है। वीडियो में नजर आ रहा है कि कमल शुक्ला को लोगों की भीड़ खींच रही है और फिर उनकी पिटाई कर रही है। पत्रकार के कपड़े भी फाड़ दिये गये थे। भीड़ में खड़े सभी लोग पत्रकार पर हमला करते हुए नजर आ रहे हैं।

पत्रकारों का कहना है कि किसी तरह हमने पुलिस स्टेशन के सामने शुक्ला को भीड़ की चंगुल से आजाद कराया। लेकिन जब वो बाहर खड़े थे तब कांग्रेस नेता गफ्फार मेमन, शादाब खान और गणेश तिवारी ने फिर उनके साथ मारपीट की। कमल शुक्ला को बचाने में जीवनंद हल्दर को भी चोटें आई हैं। इधर इस मामले में कांकेर में पत्रकार अब इस हमले की निंदा कर रहे हैं और घटना में शामिल लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।