बिहार चुनाव की तारीखें अब नजदीक आ चुकी हैं। सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से कई दबंग और दागी प्रत्याशी भी मैदान में हैं। आज हम बात करेंगे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी राघवेंद्र प्रताप सिंह की। बीजेपी ने राघवेंद्र प्रताप सिंह को भोजपुर की बड़हरा सीट से टिकट थमाया है।
साल 2015 में राघवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने हलफनामे में बताया था कि उनपर दंगा फैलाने, आर्म्स एक्ट, आपराधिक साजिश रचने समेत कई संगीन अपराधों में केस दर्ज है। राघवेंद्र प्रताप सिंह पर सरकारी कर्मचारी को धमकी देने का आऱोप भी लग चुका है। बताया जाता है कि अभी राघवेंद्र प्रताप सिंह पर 4 केस दर्ज हैं। बड़हरा विधानसभा से आरजेडी विधायक सरोज यादव ने हाल ही में राघवेंद्र प्रताप सिंह पर बंटी नाम के एक युवक के अपहरण का आरोप भी लगा दिया था।
हालांकि विधायक सरोज यादव के खिलाफ पीड़ित युवक बंटी पासवान ने अब खुद एससी- एसटी थाने में मामला दर्ज कराया है। इधर पीड़ित युवक बंटी पासवान के माता- पिता ने उनके बेटे बंटी का अपहरण करने का आरोप बड़हरा के पूर्व विधायक और वर्तमान में बड़हरा से बीजेपी प्रत्याशी राघवेंद्र प्रताप सिंह पर लगाया है। इस बीच अपहरण करने के आरोपों को खारिज करते हुए राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि ‘इस मामले से मेरा दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है. मुझे तो पीड़ित लड़के का गांव तक नहीं पता, ना ही मैंने कभी उसे देखा है।’
राघवेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1952 में भोजपुर जिले के त्रिकौल गांव में हुआ था। जन्म से ही राजनीतिक माहौल में पले बढ़े राघवेंद्र 10वीं पास हैं और वो एक अच्छे पॉलिटीशियन के साथ किसान भी है। राजनीति में उनकी एंट्री सबसे पहले 1977 में हुई थी जब वो बड़हरा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद 1980 में चे कम अंतराल से चुनाव हार गए थे। फिर उन्होंने दोबारा चुनावी मैदान में कूद कर बड़हरा सीट से लगातार 6 बार विधायक बने।
इस दौरान वे बिहार सरकार में गन्ना एवं विकास मंत्री के अलावा कारा मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन 2005 के बाद से बड़हरा में उनका राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा गया और वो जदयू की प्रत्याशी आशा देवी से चुनाव हार गए। 2015 में आरजेडी जेडीयू के गठजोड़ में बने महागठबंधन के प्रत्याशी सरोज यादव ने यहां के राजनीतिक समीकरण के साथ-साथ चुनाव के नतीजे को भी बदल कर रख दिया था।
