बिहार चुनाव में कई पार्टियों ने दबंग शख्सियतों को टिकट थमाया है। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने साहेबगंज सीट से राजू सिंह को टिकट थमाया है। उद्योगपति से राजनेता बने राजू सिंह का राजनीतिक करियर काफी सफल रहा है। लेकिन यह भी सच है कि उनपर कई संगीन अपराध के छीटें भी पड़े। राजू कुमार सिंह के परिवार की पहचान दवा के बड़े व्यवसायी के रूप में होती है। उनका दवाओं का कारोबार नोएडा, अहमदाबाद समेत कई बड़े शहरों फैला है। इसके अलावा रूस और अमेरिका में भी उनका दवाओं का कारोबार बताया जाता है।
न्यू ईय़र पार्टी के दौरान राजू सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपने फार्म हाउस में एक पार्टी की थी और इस पार्टी में नशे में धुत होकर उन्होंने एक महिला के सिर में गोली मार दी थी। इस गोलीबारी के बाद राजू सिंह फरार भी हो गए थे। बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था। इस मामले में पुलिस ने पूर्व विधायक के फार्म हाउस से दो राइफल और सैकड़ों कारतूस भी बरामद किये थे।
पूर्व विधायक राजू कुमार सिंह के खिलाफ साल 2015 के चुनाव के समय 5 अपराधिक मामले दर्ज थे। जिसमें धमकी देने, मारपीट करने जान से मारने का प्रयास और आर्म्स एक्ट से जुड़ी कई संगीन धाराओं में उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं। चर्चित अमर भगत हत्याकांड में भी उनका नाम उछाला गया था। हालांकि इस मामले में उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले थे।
इस बार के चुनावी हलफनामे के मुताबिक राजू सिंह पर हत्या के 2 मुकदमों के अलावा चोरी, हत्या की कोशिश, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने समेत कई अहम केस दर्ज हैं।
राजू कुमार सिंह मुजफ्फरपुर के पारू प्रखंड के बड़ा दाउद गांव के रहने वाले हैं। 48 वर्षीय राजू सिंह तीन भाइयों में मंझले हैं। उनके पिता उदय प्रताप सिंह पारू प्रखंड के आनंदपुर खरौनी पंचायत के कई बार मुखिया रहे हैं। राजू कुमार सिंह ने 2005 में राजीनित में एंट्री ली थी। वे पहली बार लोजपा की टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे।
उसके बाद फिर 2005 में ही हुए अक्टूबर माह के चुनाव में पार्टी बदलकर जेडीयू के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए। फिर साल 2010 में यहीं से दोबारा विधायक बने। इस तरह चार बार वे विधायक चुने गए…इसके बाद राजू कुमार सिंह ने 2015 में जेडीयू को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।