बिहार में चुनाव को लेकर सभी पार्टियां तैयारियों में जुटी हैं। कोरोना महामारी की वजह से इस बार अलग-अलग पार्टियों ने वर्चुअल रैली पर ज्यादा जोर दिया। बिहार चुनाव के बहाने आज हम जिक्र करेंगे बिहार में हुई एक ऐसी रैली कि जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता रवि शंकर प्रसाद को गोली मार दी गई। यह साल था 2005। राज्य में राज्यपाल शासन लागू थी और बूटा सिंह राज्यपाल थे। उस साल महज 7 महीने के बाद राज्य दूसरी बार चुनाव का सामना कर रहा था।
कभी भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे रामेश्वर प्रसाद चौरसिया इस चुनाव में सासाराम की नोखा विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे थे। मतदाताओं को रामेश्वर चौरसिया के पक्ष में रिझाने के लिए 6 अक्टूबर को बीजेपी नेता प्रमोद महाजन और रविशंकर प्रसाद यहां चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे।
बड़े नेताओं के स्वागत के लिए मंच तैयार था और अन्य चुनावी सभाओं की तरह इस सभा में भी नेताओं की कतार कुर्सी पर आसीन थी। मौका मिलते ही रविशंकर प्रसाद ने भी माइक संभाला और अपनी शैली के अनुरुप उन्होंने वहां भाषण दिया। जैसे ही उनका भाषण खत्म हुआ औऱ रविशंकर प्रसाद ने अपनी कुर्सी संभाली उसी वक्त रैली को सुनने आई भीड़ में से एक शख्स हाथ में देसी कट्टा लिए मंच पर पहुंच गया।
इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता इस शख्स ने रविशंकर प्रसाद को बिल्कुल नजदीक से गोली मार दी। गोली लगते ही रविशंकर प्रसाद वहीं निढ़ाल हो गए। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल हो गया और किसी को कुछ समझ नहीं आया कि यह क्या हुआ?
मंच पर रामेश्वर चौरसिया और प्रमोद महाजन सुरक्षित थे। किसी तरह रविशंकर प्रसाद को उठाकर अस्पताल ले जाया गया। गोली उनके बांह पर लगी थी और खून से सारा मंच लाल हो गया था। इधर भीड़ ने बीजेपी नेता पर गोली चलाने वाले शख्स को पकड़ लिया था और उसकी अंधाधुंध पिटाई जारी थी।
किसी तरह पुलिस ने हमलावर को भीड़ के चंगुल से छुड़ाकर अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। रविशंकर प्रसाद को हाथ में गोली लगी थी इलाज के बाद वो सामान्य हो गए। हालांकि इस घटना ने बिहार की सियासत को उस वक्त हिला कर रख दिया था।

