बटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या होने के मामले में दोषी आरिज खान ने खुद के दोषी साबित होने और मौत की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। खान ने दिल्ली की साकेत कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है जिसमें कहा गया था कि क्राइम रेयरेस्ट ऑफ रेयर में आता है जिसमें अधिकतम सजा के तहत आरिज को मौत होने तक “फांसी के फंदे पर लटकाकर” रखा जाए।

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल से जुड़े शर्मा 2008 में साउथ दिल्ली के जामिया नगर स्थित बटला हाउस में पुलिस और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। यह मुठभेड़ राष्ट्रीय राजधानी में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की जांच के क्रम में हुई थी। इन विस्फोटों में 39 लोग मारे गए थे और 159 अन्य घायल हुए थे।आरिज ने वकील एम एस खान और कौसर खान के माध्यम से अपील दायर की है।

निचली अदालत ने पिछली आठ मार्च को आरिज को यह कहते हुए दोषी ठहराया था कि यह विधिवत साबित हुआ है कि आरिज और उसके साथियों ने पुलिस अधिकारी की हत्या की और उनपर गोलीबारी की। अदालत ने गत 15 मार्च को आरिज को मौत की सजा सुनाई थी और उसपर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसने साफ किया था कि जुर्माने की राशि में से 10 लाख रुपये तत्काल शर्मा के परिवार वालों को दिए जाने चाहिए।

निचली अदालत ने बिना किसी उकसावे के पुलिस पर गोलीबारी के आरिज के कृत्य को “घृणित और बर्बर” करार दिया था तथा कहा था कि इससे खुद ही साबित होता है कि वह न सिर्फ समाज के लिए खतरा है, बल्कि राष्ट्र का शत्रु भी है। इसने कहा था कि आरिज के जघन्य कृत्य से उसका जीवन का अधिकार खत्म हो गया है और अपराध से साबित हुआ है कि उसका अपराध कोई साधारण नहीं, बल्कि यह राष्ट्र के खिलाफ किया गया अपराध था। अदालत ने कहा था कि दोषी ने “खूंखार और अच्छी तरह ट्रेन आतंकवादी” की तरह घटना को अंजाम दिया और वह किसी दया का पात्र नहीं है।

मामले में एक निचली अदालत ने 2013 में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी शहजाद अहमद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फैसले के खिलाफ उसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। आरिज खान मुठभेड़ स्थल से भाग गया था और उसे भगोड़ा घोषित किया गया था। उसे 14 फरवरी 2018 को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने कहा था कि यह साबित हुआ है कि मुठभेड़ के बाद आरिज भागने में सफल रहा और जांच एजेंसियों को लगभग 10 साल तक चकमा देता रहा।

इसने कहा था, “दोषी दिल्ली में ही नहीं, बल्कि जयपुर, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश में भी बम विस्फोटों में शामिल था जिनमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए और घायल हुए जिससे पता चलता है कि दोषी समाज और राष्ट्र के लिए लगातार खतरा बना हुआ है।” (भाषा इनपुट के साथ)