साइबर ठगी से जुड़े मामलों पर पिछले दिनों OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर एक वेबसीरीज जामतड़ा आई थी। सच्ची घटनाओं से प्रेरित इस वेबसीरीज में दिखाया गया था कि किस तरह से झारखंड के एक छोटे से गांव से पूरा रैकेट देश भर में धोखाधड़ी का खेल रच रहा था। अब दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट के जरिए जानकारी सामने आई है कि अब झारखंड के सोनबाद और कपसा गांव साइबर ठगी के नए गढ़ बनकर उभरे हैं। इन गांवों में कुछ युवक छोटी उम्र में अकूत संपत्ति के मालिक बन चुके हैं।
सोनेबाद गांव, जामतड़ा से मात्र 6 किलोमीटर दूर है। गांव के सबसे आलीशान मकान का मालिक आनंद रक्षित है। आनंद के पिता कबाड़ का काम करते हैं। गांव वालों के अनुसार 6 साल पहले तक जीवन का गुजारा तकलीफों में हुआ करता था। दो वक्त की रोटी का प्रबंध भी मुश्किलों से होता था लेकिन एकाएक रहन सहन में बदलाव दिखने लगा। पुलिस के अनुसार आनंद फरार है, उसके घर से बोरों में छिपाए गए 21 लाख रुपये और करोड़ों रुपये की संपत्ति के कागजात मिले हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आनंद पांच साल पहले साइबर ठगों के संपर्क में आया था। बिना मेहनत किए पैसे कमाने का चस्का ऐसा चढ़ा कि वह पूरी तरह से इसमें उतर गया। 6 साल पहले उसे एक मामले में गिरफ्तार भी किया गया था लेकिन जमानत पर बाहर आते ही फिर से इस काम में उतर गया। जामतड़ा के अलावा आनंद की कोलकाता,धनबाद और रांची में भी प्रॉपर्टी है।
इसी तरह का मामला झारखंड के देवघर से 40 किलोमीटर दूर कपसा नाम के गांव में मिला है। पिछले दिनों इस गांव से 5 युवाओं को साइबर ठगी के अपराध में गिरफ्तार किया गया था। समाउन अंसारी के दो बेटे भी इन पांच युवकों में शामिल थे। समाचार पत्र की टीम जब गांव में जानकारी लेने पहुंची तो अंसारी के नए घर को देखकर दंग रह गई। घर के हर एक कमरे में एसी के साथ सुख सुविधाओं की सारी व्यवस्था है, मखमली घास से लेकर लखटकिया झूमर तक इस बंगले की शान को बढ़ा रहे हैं। पता चला कि समाउन तो ECL में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं।
यह युवकों तमाम एप्स के माध्यम से लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं। ये लोग E-वॉलेट कस्टमर्स को कैशबैक का रिक्वेस्ट भेजते थे, इसके बाद गेमिंग एप के माध्यम से ठगी को अंजाम दिया करते थे। इसके अलावा शॉपटॉपवन नाम की ऑनलाइन शॉपिंग साइट का भी इस्तेमाल करते थे।