अलवर कांड में पुलिस के बदलते बयान ने केस को ही घुमा कर रख दिया है। पहले पुलिस ने गैंगरेप की बात कही थी, अब प्रशासन इसे एक्सिडेंट बता रहा है। जिसके कारण राज्य में हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष राजस्थान सरकार और पुलिस पर जमकर निशाना साध रहा है। इन सभी बातों पर विराम लगाने के लिए गहलोत सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है।
क्या था मामला- अलवर के तिजारा फ्लाईओवर के नीचे मंगलवार की रात 16 साल की एक दिव्यांग बच्ची खून से लथपथ मिली थी। बच्ची के प्राइवेट पार्ट से ब्लिडिंग हो रही थी। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चला था कि अज्ञात व्यक्तियों ने लड़की के साथ बलात्कार किया गया था। आशंका जताई जा रही है कि मारपीट करने के बाद हमलावरों ने उसे ओवरब्रिज से नीचे फेंक दिया।
तब पुलिस ने क्या कहा- अलवर की पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम ने बताया था कि बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्होंने कहा- “ऐसा प्रतीत होता है कि उसके साथ बलात्कार किया गया और उसे रेलवे क्रॉसिंग के पास ओवरब्रिज पर छोड़ दिया गया। पुलिस ने आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए टीमों का गठन किया है। मौके पर डॉग स्क्वायड और फॉरेंसिक साइंस की टीम भी काम कर रही है”।
परिवार ने क्या कहा- परिवार का कहना है कि लड़की 11 जनवरी को यानि कि मंगलवार दोपहर 2 बजे के आसपास घर से अकेली निकली थी। जब तक उसकी बड़ी बहन शाम 4 बजे के आसपास स्कूल से नहीं लौटी और उसकी तलाश शुरू नहीं हुई, तब तक उन्हें पता ही नहीं चला कि वह लापता है। रात करीब 8.30 बजे उन्हें पुलिस से फोन आया कि लड़की घायल पाई गई है।
डॉक्टर ने क्या कहा- लड़की का इलाज करने वाले अस्पताल के अधीक्षक डॉ अरविंद शुक्ला ने कहा कि उसे 12 जनवरी को सुबह 2 बजे लाया गया था। “हमने रक्तस्राव को रोकने के लिए इलाज शुरू किया … उसे बड़े घाव थे।” उनका कहना है कि उन्होंने एक सर्जरी की जो लगभग ढाई घंटे तक चली, जिसमें प्लास्टिक सर्जनों ने उनकी चोटों को ठीक करने के लिए सर्जरी किया। आंत को बायपास करने और संक्रमण को रोकने के लिए एक कोलोस्टॉमी किया गया था … वह अब बेहतर है और होश में है।
अब पुलिस क्या कह रही है- इलाज के बाद और रिपोर्टों के बाद अलवर की एसपी तेजस्विनी गौतम ने कहा कि शुक्रवार को विशेषज्ञों की एक टीम ने पुलिस को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि चोट किसी भी तरह के हमले का संकेत नहीं दे रही है। अब तक चिकित्सा विशेषज्ञों के तथ्य और तकनीकी जानकारी से पता चलता है कि मामले में बलात्कार की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के साथ-साथ बाल रोग विशेषज्ञों, चिकित्सा न्यायविदों, फोरेंसिक दवा विशेषज्ञों और स्त्री रोग विशेषज्ञों सहित एक विशेषज्ञ पैनल ने चोटों की प्रकृति पर एक रिपोर्ट दी है। उनके अनुसार- “डॉक्टरों ने तीन बातें कही हैं- पहली, योनि और हाइमन बरकरार हैं। गुदा भी बरकरार है, और (तीसरी) चोटें किसी भी प्रकार के हमले का संकेत नहीं है।”
इस मामले में विपक्ष प्रशासन पर ये आरोप लगा रहा है कि पुलिस अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है, और अब गैंगरेप की जगह दुर्घटना की बात कह रही है। भाजपा सीबीआई जांच की मांग कर रही है। वहीं सीएम गहलोत ने भी कहा है कि परिवार चाहे तो सरकार सीबीआई जांच के लिए तैयार है।