आज बात म्यूनिख हमले के मास्टरमाइंड अली हसन सलामेह की जिसे मोसाद ने ऐसे तरीके से ठिकाने लगाया था कि दुनिया हैरान हो गई थी। अली हसन सलामेह को रेड प्रिंस के नाम से जाना जाता था। अली हसन को मारने का ऑपरेशन पांच साल के लंबे इंतजार के बाद शुरू किया गया था। अली हसन अरब के एक टॉप कमांडर का बेटा था, जो 1948 में इजराइल के साथ युद्ध में मारे गए थे।
5 सितंबर 1972 को जर्मनी के म्यूनिख शहर में ओलंपिक खेल चल रहे थे। जिसमें ब्लैक सेप्टेम्बर और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन के आतंकियों ने 11 इजराइली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया। इसी बंधक संकट की आपधापी के बीच दो खिलाड़ियों ने भागने की नाकाम कोशिश की थी, जिन्हें शुरुआत में ही आतंकियों ने मार दिया था। अली हसन हमले के कई सालों तक अंडरग्राउंड रहा था, फिर पता चला था कि वह लेबनान के बेरूत में है।
इसी के चलते मोसाद ने साल 1974 में एक एजेंट को उसकी तलाश में बेरूत भेजा गया था। इस एजेंट को “एजेंट डी” का कोड नेम दिया गया था। जिसे खासतौर से हिदायत दी गई थी कि वह अली हसन की केवल निगरानी करेगा। क्योंकि उससे मिलना या नजरों में आना एजेंट के लिए मुश्किल हो सकती थी। मोसाद को पता था कि उसे एली कोहेन वाली गलती फिर से दोहरानी नहीं है।
इसी दौरान अली हसन उसी होटल के जिम में कसरत करने आता था, जिसमें एजेंट डी रुका हुआ था। छह महीने तक निगरानी के बाद एजेंट भी जिम जाने लगा, जहां अनजाने में उसकी मुलाकात अली हसन से हो गई। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती हो गई और एक-दूसरे के साथ समय बिताने लगे, लेकिन मोसाद की टीम घबराई हुई थी। अब ये मामला चार साल लंबा खिंच गया फिर साल 1978 में अली हसन की मौत के प्लान को अंजाम देना शुरू किया गया।
इसी क्रम में मोसाद ने अपनी एक महिला व एक पुरुष एजेंट को काम के लिए बेरूत भेजा जिसे वारदात को अंजाम देना था। एजेंट डी ने जान हथेली पर रखकर विस्फोटक जॉर्डन से लेबनान लेकर आया था। इस काम में एक साल का वक्त लग गया फिर मोसाद की महिला एजेंट और एक अन्य मोसाद एजेंट ने अली हसन के दफ्तर की पार्किंग में विस्फोटकों से लदी कार को पहुंचा दिया।
तारीख थी 22 जनवरी और साल 1979। अली हसन सलामेह जैसे ही अपनी कार से दफ्तर पहुंचा। महिला मोसाद एजेंट ने रिमोट से धमाका कर दिया। इस भीषण धमाके में अली हसन के चार अंगरक्षक मारे जा चुके थे और अली हसन गंभीर रूप से घायल था, जिसे बाद में अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। इस धमाके के तुरंत बाद मोसाद के एजेंट्स बेरूत से इजराइल निकल गए थे।