करीब 130 साल पहले इंग्लैंड में जिस गुमनाम शख्स ने बेरहमी से कई महिलाओं को मौत के घाट उतारा वो अब बेनकाब हो चुका है। इंग्लैंड के व्हाइटचैपल इलाके में सन् 1888 में इस सीरियल किलर का इतना खौफ था कि यहां महिलाएं अकेले घूमने में कतराने लगी थीं। इस हत्यारे के आतंक के 100 साल से ज्यादा गुजर जाने के बाद अब यहां जांच कर्मियों ने दावा किया है कि उन्होंने इस हत्यारे की पहचान कर ली है। बता दें कि सन् 1888 में इस शख्स ने उस वक्त खुद मीडिया को एक चिट्ठी भेजकर अपना नाम ‘Jack The Ripper’ बताया था। लेकिन उसके बाद कभी भी इसके बारे में कोई खास जानकारी सामने नहीं आ सकी थी। अब यहां जांचकर्ताओं का कहना है कि डीएनए के जरिए ‘Jack The Ripper’ की पहचान कर ली गई है। दावा किया गया है कि 5 मृत महिलाओं के पास पड़े शॉल से डीएनए इकठ्ठा कर जब इस डीएन का मिलान एरन कॉसमिंस्की नाम के एक शख्स के डीएनए से किया गया तो रिपोर्ट पॉजीटिव पाया गया। एरन कॉसमिंस्की पेशे से एक नाई था और उसपर पुलिस वालों को पहले भी शक था। यहां तक की जांचकर्ताओं ने कई हत्याओं के मामले में उसे मुख्य आरोपी भी माना लेकिन सबूतों के अभाव में वो हर बार आसानी से बरी हो गया था।
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स और लीवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चर लोहेलमेन ने अपनी रिसर्च में खुलासा किया है कि उस हत्यारे के भूरे बाल और भूरी आंखें थीं। उन्होंने अपने रिसर्च को इकलौता ऐसा सबूत बताया है जो सीधे हत्यारे से जुड़ी है। रिसर्च में बताया गया है कि साल 1888 में कैथरीन एडवर्स नाम की एक महिला के पास से सिल्क का शॉल मिला था, जिस पर खून और वीर्य के निशान थे। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका डीएनए एरन कॉसमिंस्की से मैच करता है।
आपको बता दें कि कि यह हत्यारा इतना शातिर था कि हर गुनाह के बाद अपराध के सबूत मिटाना कभी नहीं भूलता था। यह हत्यारा ज्यादातर वेश्याओं को ही अपना शिकार बनाता था। हत्या के बाद भी यह महिलाओं की लाश को क्षत-विक्षत करता था। यह महिलाओं की कि़डनी, हार्ट और बच्चेदानी को निकाल लेता था। बड़ी हैरानी की बात थी कि उस वक्त यह क्रूर हत्यारा सिलसिलेवार महिलाओं की हत्या करता था और कानून के लंबे हाथ कभी भी उसके गर्दन तक नहीं पहुंच सके थे। कहा जाता है कि इंग्लैंड के इस सीरियल किलर ने कुल 11 महिलाओं की हत्या की थी। (और…CRIME NEWS)
