बिहार स्थित बांका के नवटोलिया मदरसे में 8 जून को हुए बम विस्फोट के बाद बांका पुलिस पूर्व में हुए मजलिसपुर और नवटोलिया के वाशिंदों के बीच बम विस्फोट कांड के आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए सक्रिय हो गई है। कुदुस अंसारी, अहमद, इदरीश अंसारी मदरसा ब्लास्ट में गिरफ्तार हो चुके हैं। ये लोग 25 जुलाई 2020 को बुल्ला यादव हत्याकांड में भी आरोपी हैं। पुलिस ने और दस लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है।
भागलपुर रेंज के डीआईजी सुजीत कुमार के मुताबिक, भागलपुर और पास के बांका और नवगछिया में बम विस्फोट की वारदात का पुराना इतिहास है। आर्थिक अपराध करने वाले गिरोह को बम विस्फोट कर दहशत पैदा करने की प्रवृति रही है। बांका में नवटोलिया और मजलिसपुर के वाशिंदों के बीच झगड़े में बमों से हमला भी इसी मंशा का नतीजा था।
डीआईजी सुजीत कुमार ने बताया कि 2017 से भागलपुर ज़िले के विभिन्न थानों में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत 119 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि बांका ज़िले में 40 और नवगछिया पुलिस ज़िले में छह प्राथमिकी दर्ज की गई है। ऐसा नहीं है कि इन मामलों में आरोपी किसी एक जाति या समुदाय के हैं। इन मामलों में सभी धर्मों और जाति के बदमाशों की संलिप्तता रही है।
डीआईजी सुजीत कुमार बताते हैं कि वैसे अपराधियों की कोई जाति-धर्म नहीं होता। वे बेजा धन-संपत्ति अर्जित करने के लिए अपराध करते हैं। इसमें बम से हमला करना अपराधियों को आसान लगता है। वे बताते हैं कि गोली चलाने की तुलना में बम फेंकना आसान है। गोली की उपलब्धता में भी दिक्कत है। बम तो कई अपराधी घरों में ही बना लेते हैं।
ध्यान रहे कि 1989 में रामशिला पूजन जुलूस पर भागलपुर में मुस्लिम स्कूल के नजदीक बमों से ही ताबड़तोड़ हमला किया गया था। उसमें तत्कालीन एसपी केएस द्विवेदी सहित कई लोग जख्मी हो गए थे। इस हमले के बाद ही शहर में भीषण सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था।
डीआईजी कुमार ने बम विस्फोट से जुड़े वारदात का अध्ययन किया है और अपने पुलिस रेंज के तीनों ज़िलों के एसएसपी व एसपी को सघन अभियान चलाकर आरोपियों को गिरफ्तार करने की हिदायत दी है।