उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के सिद्दनपुरवा गांव में एक घर में आयोजित सामूहिक प्रार्थना पर एक हिंदू संगठन के स्वयंसेवकों द्वारा आपत्ति जताने के बाद शांति भंग करने के आरोप में 13 महिलाओं सहित चौबीस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने कहा कि रविवार को बजरंग दल कार्यकर्ता की शिकायत पर नानपारा थाने में 18 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई है।
भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं में मामला दर्ज, पुलिस ने क्या कहा
पुलिस ने कहा कि आरोपी हिंदू लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए सामूहिक प्रार्थना कर रहे थे और कथित तौर पर हिंदू देवी-देवताओं की आलोचना कर रहे थे। शुरुआत में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295-ए (किसी धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 298 (दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए शब्द बोलना), 323 ( जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज की गई थी।
बाद में जोड़ा शांति भंग करने का आरोप, महिला आरोपियों को मिली जमानत
ऐसा पता चला है कि बाद में मामले में शांति भंग करने का आरोप जोड़ा गया। नानपारा पुलिस स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) हेमंत कुमार ने कहा, “गिरफ्तार किए गए लोगों को एक अदालत में पेश किया गया, जिसने महिला आरोपियों को जमानत दे दी। लोगों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गिरफ्तार किए गए लोग हमारे पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के विभिन्न गांवों से हैं।
‘दलित समुदाय के व्यक्ति के घर पर 100 लोगों को ईसाई बनाने के लिए सभा’
पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ता बजरंग दल के पदाधिकारी दीपांशु श्रीवास्तव ने दावा किया कि उन्हें सूचना मिली थी कि सामूहिक प्रार्थना के लिए दलित समुदाय के स्थानीय निवासी बाबू राम रैदास के घर पर 100 से अधिक लोग एकत्र हुए थे। उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग दूसरों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे और उन्हें नियमित रूप से सामूहिक प्रार्थनाओं में भाग लेने के लिए कहते थे।
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हिंदू देवी-देवताओं की बुराई पर एतराज जताया तो की गई मारपीट
दीपांशु ने कहा, “मैं अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ घटनास्थल पर गया और अकेले हॉल में प्रवेश किया और पाया कि ग्रामीणों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए राजी किया जा रहा था। जब उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं के बारे में कुछ टिप्पणी की तो मैंने आपत्ति जताई। इस पर उन्होंने मेरे साथ मारपीट की। बाद में मेरे सहकर्मियों के साथ उनकी तीखी नोकझोंक भी हुई। हमने पुलिस और प्रशासन को इस बारे में सूचित किया।”
आरोपी के खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून लागू नहीं किया गया
SHO हेमंत कुमार ने कहा कि आरोपी के खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ” सबूतों के अभाव में फिलहाल यह स्थापित नहीं किया जा सका कि वे धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल थे या नहीं।”