भारत में सुबह-सुबह रेलवे लाइन के किनारे एक अलग ही तस्वीर देखने को मिलती है। हर कोई रेलवे पटरियों के किनारे बैठा हुआ मिल जाता है। यहां अधिकांश लोग खुले में शौच करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत में शुलभ शौचालयों की व्यवस्था नहीं है। लेकिन बावजूद इसके कुछ लोगों को खुले में शौच करके संतुष्टि मिलती है। शौचालय जाना जीवित प्राणियों के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सुबह और रात को शौच जाना अति आवश्यक है। भारत में बड़ा वर्ग अपने घरों में शौचालय का इस्तेमाल करता है। समय के साथ-साथ अब इन टॉयलेट्स में भी बदलाव आने लगे हैं। हर श्रेणी के लोगों के लिए उनके प्रकार के टॉयलेट्स बाजार में उपलब्ध हैं। भारत में लोग नया मकान बनवाते समय खासतौर पर किचन और टॉयलेट्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
शारीरिक रुप से विकलांग लोगों के लिए उनके सुविधा के अनुसार टॉयलेट्स मौजूद है। वहीं बड़े-बुजु्र्ग के लिए भी अलग तरह के टॉयलेट्स हैं। शहरों में अधिकांश लोग वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने लगे हैं। अगर पब्लिक प्लेस की बात करें तो भारत में सरकार के सहयोग से कुछ-कुछ जगहों पर शुलभ शौचालय बने हुए हैं। जहां लोग कुछ रुपये देकर फ्रेश हो सकते हैं। या पिशाब कर सकते हैं।

वैसे तो भारत में परंपरागत टॉयलेट्स का इस्तेमाल अधिक रुप से किया जाता है। जिसे आम भाषा में इंडियन टॉयलेट कहते हैं। लेकिन विदेशों में तस्वीर कुछ अलग है। यहां अजीबों-गरीब तरह के टॉयलेट्स देखने को आपको मिल जाएगा। जिसे देखकर आप कह ही नहीं सकते कि ये टॉयलेट्स है।




हमारे भारतीय नेताओं को हमेशा जान का खतरा रहता है। शौचालय के रुप में उनकी सुरक्षा के लिए भी अब विकल्प मौजूद है। चाहे तो वे बीजिंग जैसा बुलेट प्रुफ टॉयलेट बनवा सकते हैं। जिसमें किसी भी गोली-बम, बारुद का असर नहीं।

जिन लोगों को शिकायत होती है कि पहले मैं तो पहले मैं उनके लिए इस तरह के टॉयलेट्स भी मौजूद हैं। इसमें एक साथ कई लोग फ्रेश हो सकते हैं, और तो और आपस में बातचीत भी कर सकते हैं।

आपने कभी सोचा है कि बर्फ का इस्तेमाल टॉयलेट बनाने के लिए भी किया जा सकता है। अगर नहीं सोचा तो देखिए यह तस्वीर। हालांकि, लोग यहां फ्रेश होने तो नहीं आते, लेकिन सेल्फी के लिहाज से इसमें कोई बुराई नहीं। बता दें कि यह तस्वीर सियोल की है।