केंद्र सरकार को अंतर मंत्रालयी समिति ने खनिज पदार्थों पर दी जाने वाली रॉयल्टी में कमी करने की सिफारिश की है। सरकारी सूत्रों के अनुसार कमिटी ने अगले तीन साल के लिए फ्यूल पर एड वेलोरेम रॉयल्टी को तीन प्रतिशत कम कर 11 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। सिफारिशों को जल्द ही केबिनेट के सामने रखा जाएगा। अगर सरकार इस अनुशंषा को मानती है तो राज्यों को मिलने वाली रॉयल्टी में कमी आएगी लेकिन बिजली की दरें भी 5 पैसे प्रति यूनिट तक कम हो जाएगी।
रॉयल्टी रेट प्रत्येक तीन साल पर निर्धारित की जाती है। आखिरी बार 2012 में इनका रिवीजन किया गया था। उस समय कोयले की रॉयल्टी 14 प्रतिशत और लिग्नाइट की 6 प्रतिशत तय की गई थी। रॉयल्टी रेट में कमी होने से हालांकि राज्यों के राजस्व में कटौती होगी लेकिन यह अस्थाई होगी। क्योंकि रॉयल्टी रेट में कमी से कोयले की मांग में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। ऐसा होने पर उत्पादन बढेगा जिससे राजस्व बढ़ेगा। साथ ही पिछले साल हुए कॉल ब्लॉक के आवंटन से कोयला उत्पादक राज्यों को अगले 30 साल तक 3 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे।
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कोल इंडिया ने 2015-16 में कोयला उत्पादक राज्यों को 550 मिलियन टन कोयले की रॉयल्टी के रूप में 14 प्रतिशत की दर पर 7700 करोड़ रुपये दिए थे। अगर रॉयल्टी रेट 11 प्रतिशत होती है तो उसे केवल 6000 करोड़ रुपये ही देने होंगे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ”कोयले की रॉयल्टी की नई दरों का लक्ष्य भविष्य में बिजली की दरों में कमी लाना है। इसके लिए कोल इंडिया अन्य कदम भी उठा रही है।”
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