Yes Bank Collapsed: कभी देश के दिग्गज प्राइवेट बैंकों में से एक रहे Yes Bank पर अब आरबीआई ने पाबंदियां लगा दी हैं। कोई भी ग्राहक एक महीने में 50,000 रुपये से ज्यादा की रकम नहीं निकाल सकता है। गुरुवार को यह खबर के बाद ग्राहक एटीएम की ओर दौड़े तो पैसे निकलने बंद थे और नेट बैंकिंग भी काम नहीं कर रही। उम्मीद की जा रही है कि सोमवार से लोग महीने में 50,000 रुपये तक की निकासी और अन्य ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। कर्ज में बुरी तरह डूबे Yes Bank में भारतीय स्टेट बैंक और अन्य 4 बैंकों की ओर से निवेश करने की भी चर्चाएं चल रही हैं। आइए जानते हैं आखिर कैसे डूबता गया Yes Bank…
लोन बंटते रहे, निवेशक निकलते रहे: बीते कई सालों में Yes Bank की स्थिति में लगातार कमजोरी आई है। बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है, जिन्हें आरबीआई ने अक्टूबर 2018 में पद से हटाने का आदेश दिया था। एक तरफ राणा कपूर ने धड़ल्ले से लोन बांटे, जो फंसते चले गए और दूसरी तरफ बैंक को पूंजी मिलनी भी बंद हो गई। बीती करीब 4 तिमाही से बैंक लगातार घाटे में जा रहा था।
…जब 30 पर्सेंट से ज्यादा की आई गिरावट: दरअसल 2017 में बैंक 6,355 करोड़ रुपये की रकम को बैड लोन में डाल दिया था। इस बात की जानकारी आरबीआई को मिली और उसने बैंक पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। असली मुसीबत 2018 में शुरू हुई, जब केंद्रीय बैंक ने राणा कपूर को जनवरी 2019 तक सीईओ का पद छोड़ने के लिए कहा। इस आदेश के बाद Yes Bank के शेयरों में 30 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। यह वह झटका था, जिसके बाद Yes Bank फिर उबर नहीं सका।
डूबते कारोबारी घरानों को जमकर बांटे लोन: Yes Bank कारोबारी घरानों को लोन देने में आगे रहा है। अनिल अंबानी ग्रुप, आईएल एंड एफएस, सीजी पावर, एस्सार पावर, रेडियस डिवेलपर्स और मंत्री ग्रुप जैसे घरानों को बैंक ने लोन जारी किया था। इन कारोबारी समूहों के डिफॉल्टर साबित होने से भी करारा झटका लगा। हालात यहां तक बिगड़ गए कि बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के नतीजों तक में देरी कर दी।
नियम से ज्यादा रिश्तों के आधार पर बांटे लोन: 2005 में 300 करोड़ रुपये के आईपीओ के साथ शेयर मार्केट में धमाल मचाने वाले Yes Bank ने जितनी जोरदार शुरुआत की थी, उतनी ही तेजी से गिरावट की ओर भी बढ़ा। बैंकिंग सेक्टर में Yes Bank की ख्याति हमेशा रिस्की कर्जदारों को लोन बांटने के तौर पर रही। बैंक के प्रमोटर रहे राणा कपूर ने कर्ज और उसकी वसूली के लिए तय प्रक्रिया से ज्यादा महत्व निजी संबंधों को दिया।