What is Union Budget: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी यानी आज संसद में देश का आम बजट पेश करेंगी। यह उनका 8वां पूर्ण बजट होगा। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे बजट की मंजूरी ली। वित्तमंत्री सीतारमण आज संसद में बजट पेश करने के साथ ही मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड तोड़कर लगातार सबसे अधिक बार पूर्ण बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री बन जाएंगी। अभी ओवरऑल रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के ही नाम रहेगा, जिन्होंने कुल 10 बजट पेश किए थे। रेलवे से लेकर इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव को लेकर आम आदमी बेसब्री से इंतजार करता है। बजट को तैयार करने की प्रक्रिया काफी समय पहले ही शुरू हो जाती है। हम आपको बताएंगे कि आखिर देश का बजट तैयार कैसे किया जाता है। इसे बनाने में कौन सी टीम काम करती है।

आम बजट क्या होता है?

आम भाषा में समझें तो आम बजट ठीक वैसी ही है जैसा हम अपने घरेलू खर्चों के लिए बजट बनाते हैं। जितनी हमारी कमाई होती है, खर्चे भी हम वैसे ही करते हैं। बजट शब्द फ्रांस के बुजे (Bougette) से निकला बताया जाता है। इसका मतलब चमड़े के बैग से होता है। इसमें साल भर में योजनाओं, सैलरी और पेंशन आदि पर होने वाले खर्च के अलावा राजस्व का भी लेखा-जोखा होता है। संविधान के ‘अनुच्छेद 112’ में ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ की चर्चा है। बजट एक तरह का मनी बिल (Money Bill) होता हैं। बजट को सबसे पहले संसद के लोकसभा (Loksabha) में पेश किया जाता हैं। इसके बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाता है।

आम बजट कौन तैयार करता है?

देश के आम बजट को बनाने का जिम्मा फाइनेंस मिनिस्ट्री का डिपार्टमेंट ऑफ़ इकनोमिक अफेयर्स (Department of Economic Affairs, Ministry of Finance) बनता है। इसे तैयार करने वालों में अर्थशास्त्रियों, वित्त मामलों के जानकारों और तमाम दूसरे विशेषज्ञों की अहम भूमिका रहती है। बजट से देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा बाजार कीमत होती है। इसी के आधार पर राजकोषीय घाटे से लेकर सरकार की आमदनी और खर्च तक की बात पता चलती है। बजट को बनाने के लिए सरकार अलग-अलग प्रशासनिक निकायों से आंकड़े मांगती है, ताकि उसे पता चल सके कि किस विभाग को कितने फंड की जरूरत है। 2017 से पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में इसे आम बजट में ही मर्ज कर दिया गया।

कैसे तैयार होता है देश का आम बजट?

आम बजट को बनाने की प्रक्रिया करीब 6 महीने पहले शुरू हो जाती है। इसे तैयार करने का जिम्मा मुख्य रूप से वित्त सचिव, राजस्व सचिव और सचिव व्यय के पास होता है। इनकी लगातार बैठकें चलती हैं। वित्त मंत्री के साथ यह लगातार बैठकें करते हैं। बीच-बीच में प्रधानमंत्री को भी इसकी जानकारी दी जाती है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष और आर्थिक सलाहकार परिषद से भी मशवरा लिया जाता है। इसके अलावा बजट बनाने के लिए विभिन्न चैंबरों, संस्थाओं और संगठनों से बातचीत की जाती है और उनकी राय ली जाती है। सचिव व्यय, नीति आयोग के सदस्य सचिव और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी बजट बनाने में मदद करते हैं।

गोपनीयता का रखा जाता है पूरा ध्यान

बजट को बनाना जितना बड़ा काम होता है, उससे कहीं बड़ा चैलेंज इसकी गोपनीयता का भी होता है। जैसे-जैसे बजट के दिन पास आते हैं, अधिकारियों को घर भी जाने की इजाजत नहीं दी जाती है। इन्हें किसी से संपर्क करने की भी अनुमति नहीं होती है।। बजट के अंतिम समय में तो उनके मोबाइल रखने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है। बजट बनने के बाद उसे नॉर्थ ब्लॉक में सबसे सुरक्षित इलाके में रखा जाता है। यह पूरा इलाका हाई सिक्यूरिटी जोन में आता है। बजट को अंतिम रूप मिलने के बाद ही यह अपने घर जा पाते हैं। बता दें कि 1980 से 2020 तक बजट दस्तावेज एक खास प्रिटिंग प्रेस में छपते थे। यह प्रेस नॉर्थ ब्लॉक यानी वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में थी। इसका मकसद भी बजट को गोपनीय रखना था। 2021 से बजट पूरी तरह से डिजिटल प्रारूप में पेश किया जाने लगा है। अब कुछ ही संख्या में दस्तावेज प्रिंट होते हैं।

यह भी पढ़ेंः बजट 2025 में मिलेगी महंगाई से राहत? घरेलू LPG सिलेंडर हो सकता है सस्ता, चल रही बड़ी तैयारी

कब पेश होता है आम बजट?

आजादी से बाद से 1998 तक बजट शाम 5 बजे संसद में पेश किया जाता था। दरअसल यह ब्रिटिश काल से होता चला आ रहा था। ब्रिटिश शासन काल में भारत का बजट ब्रिटेन में दोपहर को पास होता था। हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तो उनके कार्यकाल में 1999 में वित्त मंत्री यशवंत सिंह ने सालों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ बजट का समय सुबह 11 बजे का किया। तब से बजट को सुबह 11 बजे पेश किया जाता है। 2017 से पहले तक बजट को फरवरी के अंतिम दिन पेश किया जाता था। साल 2017 में तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार 1 फरवरी को बजट पेश किया था और तब से 1 फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा जारी है।

किसने पेश किया था देश का पहला बजट?

आजाद भारत का पहला आम बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी ने पेश किया था। आजाद भारत के पहले बजट में टैक्स प्रस्ताव नहीं था। साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में प्रकाशित होता था। इसके बाद बजट को अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी पेश किया जाने लगा। इंदिरा गांधी पहली महिला वित्त मंत्री थीं, जिन्होंने बजट पेश किया। 1970 में पीएम के अलावा उनके पास वित्त मंत्रालय भी था।