What Is Union Budget: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम आम बजट पेश करेंगी। सीतारमण का बजट में मुख्य फोकस दो लक्ष्यों पर निर्धारित हो सकता है। जिसमें पहले नंबर पर अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को उत्पादक क्षमता में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना। साथ नौकरियां पैदा करना और दूसरा पूंजीगत व्यय बढ़ाना और विनिवेश और निजीकरण के माध्यम से अधिक राजस्व जुटाना।
वहीं लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार इस अंतरिम बजट में महिलाओं और किसानों से जुड़े बड़े ऐलान कर सकती है। सूत्रों ने यह भी बताया कि अंतरिम बजट में महिला किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि को दोगुना करने का प्रस्ताव हो सकता है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस योजना की घोषणा 1 फरवरी को बजट में होने की संभावना है। इसके चलते सरकार पर अतिरिक्त 12,000 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है।
2023 के बजट में वित्त मंत्री ने इन मुद्दों पर किया था खास फोकस
इससे पहले 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साल 2023-2024 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया था। इस बजट में उन्होंने कई बड़े ऐलान किए थे। मोदी सरकार 2.0 के आखिरी पूर्ण बजट में उन्होंने नौकरी-पेशा लोगों को बड़ी सौगात दी थी। उन्होंने 7 लाख रुपये तक इनकम पर कोई टैक्स (New Income Tax Slab 2023) न लगाने का फैसला किया था। इसे मीडिल क्लास के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा गया था। इसके साथ ही उन्होंने पुरानी टैक्स व्यवस्था खत्म करने का ऐलान किया था। बजट की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट के अमृतकाल का पहला बजट बताया था।
Budget 2023 में Income Tax Slabs सहित तमाम विषयों पर वित्त मंत्री ने रखा सरकार का पक्ष रखते हुए महिला सशक्तिकरण, पर्यटन के लिए एक्शन प्लान, विश्वकर्माओं के लिए पहल और ग्रीन ग्रोथ पर विशेष जोर दिया था।
Income Tax Slabs- 2023 में निर्मला सीतारमण ने कहा था कि नई टैक्स स्कीम को अब अधिक प्रोत्साहन मिला है, ताकि लोग बिना किसी हिचकिचाहट के पुराने से नए की ओर जा सकें। हम किसी को बाध्य नहीं कर रहे हैं। लेकिन नया अब आकर्षक है, क्योंकि यह अधिक छूट देता है।
Futuristic Fintech Sector- उन्होंने कहा था कि हम एक भविष्यवादी फिनटेक क्षेत्र की ओर देख रहे हैं, लोगों को औद्योगिक क्रांति 4.0 के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा, हम जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल अर्थव्यवस्था को खोलने की कोशिश कर रहे हैं।
Agriculture Credit- सीतारमण ने कहा था कि किसानों को ऋण के लिए 20 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए हैं। पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत एक सब स्कीम यह सुनिश्चित करेगी कि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग इससे लाभान्वित हों।
आइए आपको साधारण भाषा में समझाते हैं कि आखिरकार आम बजट या यूनियन बजट होता क्या है।
बजट क्या है?
बजट का सीधा सा अर्थ है खर्च और कमाई का पूरा गुणा-गणित या और साधारण भाषा में कहें तो लेखा-जोखा। केंद्र सरकार जो पेश करती है उसको हम यूनियन बजट, आम बजट या केंद्रीय बजट भी कहते हैं। क्योंकि यह बजट पूरे देश को लेकर बनाया जाता है। जैसे हम लोग अपने घर का बजट बनाते है, ठीक उसी प्रकार सरकारें भी बजट बनाती हैं। बजट में कितनी आमदनी होगी, कितना व्यय (खर्च) होगा और बचत कितनी होगी, यह सब शामिल रहता है। साधारण शब्दों में कहें तो बजट में आमदनी और खर्च का हिसाब रखा जाता है।
सरकार और आम आदमी के बजट में थोड़ा से अंतर होता है। सरकार पूरे देश का बजट बनाती है और आम आदमी को अपने घर का बजट बनाना पड़ता है।
बजट को हम निम्न कैटगरी में बांट सकते हैं। जैसे-संतुलित बजट, असंतुलित बजट, सरप्लस बजट या डेफिसिट बजट। इसे हम अंतरिम बजट और पूर्ण बजट में भी विभाजित कर सकते हैं। जानकार व अर्थशास्त्री बजट का वर्गीकरण अन्य कई तरीकों से भी करते हैं।
संतुलित बजट?
किसी एक वित्त वर्ष में सरकार की आमदनी और खर्च के आंकड़े बराबर हों तो उसको संतुलित बजट कहा जाता है। बहुत से एक्सपर्ट और अर्थशास्त्री सरकार से इसी तरह के बजट की उम्मीद करते हैं। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि सरकार अपनी आमदनी के हिसाब से ही पैसे खर्च करेगी।
संतुलित बजट के फायदे और नुकसान?
संतुलित बजट से फायदा है कि आर्थिक स्थिरता बनी रहती है। सरकार बेवजह के खर्च से बचती है। संतुलित बजट से नुकसान की बात करें तो आर्थिक सुस्ती के वक्त बेअसर साबित होती है। बेरोजगारी जैसी समस्या के समाधान में मदद नहीं मिल पाती। विकासशील देशों में आर्थिक ग्रोथ पर असर डालती है। साथ कल्याणकारी काम करने से सरकार के हाथ बंध जाते हैं।
सरप्लस बजट?
जब सरकार के खर्च से ज्यादा उसकी आमदनी होती है तो उसे सरप्लस बजट कहते हैं। किसी एक वित्त वर्ष में सरकार के पास अतिरिक्त रकम बचना सरप्लस बजट कहलाता है। इसका मतलब यह है कि किसी वित्त वर्ष में सरकार जितनी रकम खर्च करेगी, टैक्स एवं अन्य स्रोत से उसकी कमाई अधिक रह सकती है। इसका अर्थ यह भी है कि सरकार जनकल्याण के काम पर जितनी रकम खर्च करेगी, उससे अधिक रकम टैक्स से जुटा लेगी। इस तरह का बजट महंगाई नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है।
डेफिसिट बजट या घाटे वाला बजट?
अगर सरकार का अनुमानित खर्च उसकी कमाई से अधिक रहने का लेखा जोखा पेश किया जाए तो इसे घाटे का बजट कहा जाता है। इस प्रकार का बजट भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए सबसे उपयुक्त है। मंदी के समय विशेष रूप से सहायक, घाटे का बजट अतिरिक्त मांग उत्पन्न करने और आर्थिक विकास दर को बढ़ावा देने में मदद करता है। यहां सरकार रोजगार दर सुधारने के लिए अत्यधिक खर्च करती है। इसके परिणामस्वरूप वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि होती है जो अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करती है। सरकार इस राशि को सार्वजनिक उधार (सरकारी बांड जारी करके) या अपने संचित आरक्षित अधिशेष से निकालकर खर्च को कवर करती है।
डेफिसिट बजट के फायदे?
डेफिसिट बजट का फायदा यह है कि आर्थिक सुस्ती के दौर में रोजगार बढ़ाने में मददगार है। सरकार को जन कल्याण के काम पर खर्च करने का मौका मिलता है। डेफिसिट बजट के नुकसान सरकार बेमतलब की चीजों पर खर्च बढ़ा सकती है। उधारी लेने की वजह से सरकार पर बोझ बढ़ता है।
भारत में पहला बजट किसने पेश किया था? किस साल में? बजट पेश करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री कौन थे? सबसे ज्यादा बजट किसने पेश किए?
स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने 163 साल पहले 1860 में पहला भारतीय बजट पेश किया था। आजादी के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पहला बजट पेश किया था।
आम तौर पर वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं, लेकिन ऐसे उदाहरण भी हैं जब प्रधानमंत्री ने यह भूमिका पहले संभाली है। 1958 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल लाल नेहरू तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी के इस्तीफे के बाद बजट पेश करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने।
1970 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया, जब वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने इस्तीफा दे दिया। 1987-88 में तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह के इस्तीफा देने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बजट पेश किया था।
पूर्व वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने सबसे ज्यादा 10 बजट पेश किए हैं।
1999 तक केंद्रीय बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर शाम 5 बजे पेश किया जाता था, जिसे बाद में सुबह 11 बजे कर दिया गया। 2017 में बजट पेश करने की तारीख 1 फरवरी कर दी गई।
बजट 1950 तक राष्ट्रपति भवन में छपता था, जब वह लीक हो गया। फिर मुद्रण स्थल को नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित एक प्रेस में स्थानांतरित कर दिया गया। 1980 में, नॉर्थ ब्लॉक के अंदर वित्त मंत्रालय में एक बजट प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की गई थी।