टेलिकॉम कंपनियों को देय स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) के लिए 41 हजार करोड़ रुपए की चपत लग सकती है। सुप्रीम कोर्ट में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के मामले की सुनवाई चल रही है। इस मामले पर अगर कोर्ट सरकार के पक्ष में फैसला सुनाती है तो कंपनियों को भारी चपत लगना तय है। अगर ऐसा होता है तो भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को सबसे ज्यादा चपत लगेगी। इन दोनों कंपनियों को कुल रकम (41 हजार करोड़) का 85 प्रतिशत हिस्सा चुकाना होगा।

इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार और टेलिकॉम कंपनियों के बीच एजीआर को लेकर विवाद है। सरकार इस तथ्य पर अड़ी है कि एजीआर में कंपनी के पूरे राजस्व का शामिल होते हैं, जबकि टेलीकॉम कंपनियां इसके विरोध में कह रही हैं कि एजीआर में केवल कोर सेवाएं शामिल होती हैं।

डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन के मुताबिक अगर सरकार के पक्ष में फैसला आता है तो सुनील मित्तल की एयरटेल को कुल 22,940 करोड़ रुपए चुकाने होंगे जबकि मर्जर के तहत गठित वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्यूलर को कुल 11,000 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। एयरसेल को 2,007 करोड़ रुपए और आरकॉम को 3,533 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। वहीं रिलायंस जियो को 28 करोड़ रुपए और अन्य कंपनियों 1,455 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। कंपनियों को ये सभी रकम देय स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज के लिए चुकानी होंगी।

मौजूदा व्यवस्था के तहत एजीआर में स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंस फीस को सम्मिलित किया जाता है। लेकिन सरकार का कहना है कि इसमें लाभांश, हैंडसेट्स सेल, किराया और स्क्रैप की बिक्री से होने वाले लाभ को भी शामिल किया जाए। वहीं टेलिकॉम कंपनियों को कहना है कि ऐसा नहीं हो सकता क्यों कि समायोजित सकल राजस्व में कुछ ही चीजों का शामिल किया जाता है। बहरहाल अगर फैसला सरकार के पक्ष में आता है तो वित्तीय संकट से जूझ रही वोडाफोन-आइडिया की राह और मुश्किल हो सकती है। वोडाफोन-आइडिया टैरिफ वॉर के चलते काफी नुकसान झेल रही है।