आर्थिक मंदी के बीच देश की अर्थव्यवस्था में अगस्त में आंशिक रूप से सुधार के संकेत मिले हैं। छह साल के सबसे निचले स्तर के बाद अगस्त महीने में निवेश के साथ ही खपत में बहुत अधिक सुधार देखने को नहीं मिला है।
ब्लूमबर्ग न्यूज की तरफ से संकलित किए गए 8 हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर दर्शाते हैं कि कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधियां पिछले महीने के स्तर पर ही बनी हुई हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार अगस्त महीने में कारों की बिक्री और निर्यात में भी कमी देखने को मिली। इसके अलावा बैंक से लोन लेने की डिमांड में सुस्ती बनी रही। जॉब संकट के मद्देनजर शहरी उपभोक्ताओं ने अपने खर्च घटा दिए हैं।
आरबीआई कर सकता है राहत की घोषणाः इससे पहले सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती को दूर करने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती करने समेत कई कदम उठाए हैं। दूसरी तरफ अगस्त महीने में प्राइवेट सेक्टर में एक्टिवटी चाहे वह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हो या सर्विस सेक्टर, कमजोर ही रही। कीमतों के दबाव को देखते हुए आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति में कुछ राहत की घोषणा कर सकता है।
जुलाई महीने के 53.9 की तुलना में अगस्त महीने में कम्पोजिट इंडेक्स घट कर 52.6 रह गया। सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इनपुट लागत अगस्त महीने में बढ़ गई। ऐसे में सेल्स को बढ़ाने के प्रयासों के बीच मैन्युफैक्चरर्स लागत को बांटने से परहेज ही किया।
एफएमसीजी में 9 फीसदी वृद्धि की उम्मीदः निर्यात के मोर्चे पर भी अगस्त में सुस्ती देखने को मिली। अगस्त महीने में निर्यात 6.1 फीसदी गिर गया। जबकि जुलाई महीने में इसमें 2.1 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। घरेलू मांग में कमी के कारण आयात में भी कमी आई है। वहीं, उपभोक्ताओं की तरफ से खर्च में कटौती कर दी गई है।
इसमें ग्रामीण भारत के उपभोक्ता भी शामिल हैं। मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन ने एफएमसीजी सेक्टर में 9-10 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान व्यक्त किया है। इससे पहले इस वृद्धि दर के 11-12 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई थी।