केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 14 किलोमीटर लंबी सुरंग को बनाए जाने की मंजूरी दे दी है। असम में बनने वाली यह अंडर वाटर रोड टनल पूर्वोत्तर राज्यों असम और अरुणाचल को पूरे साल जोड़ेगी। चीन सीमा से लगते अरुणाचल प्रदेश के लिहाज से इस सुरंग का रणनीतिक महत्व भी काफी ज्यादा है। पानी के नीचे बनने वाली इस सुरंग में 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से वाहन चल सकेंगे। यह सुरंग नेशनल हाईवे 54 पर स्थित गोहपुर को असम के नुमालीगढ़ को जोड़ेगी, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर स्थित है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस साल के अंत तक इस टनल पर काम शुरू हो सकता है।

इस टनल को कुल तीन चरणों में तैयार किया जाएगा और इसकी लंबाई 14.85 किलोमीटर लंबी होगी। इससे पहले मई 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मपुत्र नदी पर ही बने ढोला सदिया पुल का उद्घाटन किया था। 9 किलोमीटर लंबा यह पुल भी असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ता है। यह पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर दूर है। इस पुल के चलते दोनों राज्यों के बीच की दूरी 165 किलोमीटर तक घटी है।

ढोला सदिया पुल के बाद यह सुरंग असम के साथ अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी को और मजबूत करेगी। 4 लेन की इस सुरंग से बड़े मिलिट्री वाहन भी गुजर सकेंगे। इसके अलावा अन्य बड़े वाहन भी साल भर गुजर सकेंगे। इस टनल के दो हिस्से होंगे और दोनों मे दो-दो लेन होंगी। इस तरह से आने और जाने का रास्ता अलग होने के चलते ट्रैफिक तेजी से गुजर सकेगा।

इस सुरंग के जरिए अरुणाचल प्रदेश स्थित चीन से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा तक मिलिट्री वाहन आसानी से पहुंच सकेंगे। रणनीतिक और सामरिक लिहाज से यह टनल बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। यही नहीं यह टनल चीन के जियांग्सू प्रांत की ताइहू लेक में बनी अंडर वॉटर टनल से भी लंबी होगी। चीन में बनी ताइहू लेक सुरंग 10.79 किलोमीटर लंबी होगी। अमेरिकी कंपनी लुइस बर्जर इस पर काम करने वाली है, जिसने प्रोजेक्ट की डीपीआर भी तैयार कर ली है।