टेलीकॉम रेग्युलेट्री अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने शुक्रवार को टर्मिनेशन चार्जेस की समीक्षा को लेकर एक परामर्श पत्र जारी कर एक बड़ा तूफान खड़ा कर दिया है। इसका मतलब है कि टर्मिनेशन चार्जेस प्रति मिनट 14 पैसे से शून्य हो सकता है। टर्मिनेशन चार्जेस उन ऑपरेटर को देना होता है जिनके यूजर्स दूसरे ऑपरेटर पर कॉल करते हैं। ऐसे में कम दर या शून्य दर पुराने ऑपरेटर्स की तुलना में नए ऑपरेटर्स के पक्ष में हैं। यही कारण है कि इस तरह का कदम हमेशा विवाद खड़ा करता है। इस समय रेट को कम किया जाना रिलायंस जीयो के पक्ष में होगा, जो कि इस साल के अंत में अपनी सेवाएं शुरू करने जा रहा है। इसको लेकर अन्य ऑपरेटर्स विरोध कर सकते हैं। टर्मिनेशन चार्ज वह फीस है जो एक मोबाइल ऑपरेटर दूसरे ऑपरेटर से उसकी कॉल आगे बढ़ाने के लिए वसूलता है। बता दें कि रिलायंस जीओ ने पहले से ही टर्मिनेशन चार्जेस को खत्म करने की मांग करता रहा है।
टर्मिनेशन चार्जेस की समीक्षा पिछली बार 1 मार्च 2015 को हुई थी और उस समय रेग्युलेटर ने कहा था कि इस तरह के चार्जेस की समीक्षा हर दो साल में होनी चाहिए, इस आधार पर वर्तमान में की जाने वाली समीक्षा अनुचित है। हालांकि ट्राई के इस कदम से ऑपरेटर्स आईपी नेटवर्क्स की ओर मूव करेंगे, जहां कॉस्ट बेस्ड रेट्स तकनीकी रूप से काम नहीं करता है, इस पर समीक्षा की आवश्यकता है। टेलीकॉम सेक्टर एनालिस्ट ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया कि इस समय सिर्फ रिलायंस जीओ के पास ही पूर्णतया आईपी बेस्ड नेटवर्क है, बाकियों के पास नहीं। भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर जैसे ऑपरेटर कोर नेटवर्क है और रिलायंस जीयो के आईपी नेटवर्क से इंटरकनेक्शन के लिए पूरी तरह से कॉम्पेटिबल है। जब सभी ऑपरेटर्स को ट्रांजिशन आईपी- बेस्ड नेटवर्क के जरिए करना होगा तो यह लागत आधारित व्यवस्था की ओर मूव करेगा। लेकिन, फुल ट्रांजिशन को जगह लेने में कम से कम 5 साल लगेंगे। इस लिहाज से वर्तमान कदम अनुचित है।
मौजूदा टर्मिनेशन चार्ज 14 पैसे प्रति मिनट है। मार्च 2015 में बदलाव से पहले ट्रांजिशन चार्ज 20 पैसे लगते थे। साथ ही साल 2015 में नियामक एजेंसी ट्राई ने लैंडलाइन फोन से कॉल करने पर लगने वाले टर्मिनेशन चार्ज को पूरी तरह से खत्म कर दिया था।