भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के कॉल ड्रॉप पर नियमनों के खिलाफ दरसंचार कंपनियों का विरोध तेज हो गया है। आपरेटरों ने आगाह किया है कि यदि उन्हें कॉल ड्रॉप (बात करते करते कॉल कटना) के लिए मुआवजा देने के लिए बाध्य किया गया है, तो वे मोबाइल दरों में वृद्धि करेंगे।

इसके साथ ही दूरसंचार कंपनियों ने कहा है कि किसी नेटवर्क को पूरी तरह कॉल ड्रॉप से मुक्त करना संभव नहीं है। ट्राई ने एक जनवरी से आपरेटरों के लिए कॉल ड्रॉप पर उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य कर दिया है।

हालांकि, इस नियमन के तहत उपभोक्ताओं को एक दिन में अधिकतम तीन कॉल ड्रॉप के लिए मुआवजा मिलेगा। यानी एक उपभोक्ता को एक दिन में अधिकतम तीन रुपये तक मुआवजा मिलेगा।

दूरसंचार उद्योग के संगठनों सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया तथा ऑस्पी ने ट्राई को लिखे एक संयुक्त पत्र में कहा है कि इससे कॉल ड्रॉप की समस्या कम होने के बजाय बढ़ेगी।

बहुत से ग्राहक प्रतिदिन तीन रुपये का मुआवजा पाने के लिए कॉल ड्रॉप की स्थिति पैदा करेंगे। पत्र में कहा गया है कि मुआवजे की इस लागत की वसूली के लिए आपरेटरों को दरों में बढ़ोतरी करनी होगी। ऐसे में उपभोक्ताओं को दूरसंचार सेवाओं की खरीद पर अधिक खर्च करना पड़ेगा।