रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बैंक के प्रमुख का कार्यकाल लंबा होना चाहिए। वैश्विक स्तर पर जो चलन है, उसे भारत में भी अपनाया जाना चाहिए। राजन ने अर्थव्यवस्था और बैंकों में एनपीए के बारे में संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के समक्ष अपनी बात रखी। सूत्रों के अनुसार उनसे सदस्यों ने पूछा कि आरबीआइ गवर्नर का कार्यकाल कितना होना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि आरबीआइ गवर्नर का कहना था कि तीन साल कार्यकाल छोटा है। मालूम हो कि राजन का तीन साल का कार्यकाल इस साल चार सितंबर को खत्म हो जाएगा।
यह पूछने पर कि क्या यह पांच साल का होना चाहिए, राजन ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मिसाल दी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व में निदेशक मंडल के सदस्य के अलावा चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का कार्यकाल चार साल का होता है और उन्हें दुबारा नियुक्त किया जा सकता है।
तीन घंटे से ज्यादा चली बैठक के दौरान गवर्नर ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष अर्थव्यवस्था की स्थिति, सुधार और आरबीआइ के पुनर्गठन व भारत में बैंकिंग क्षेत्र की चुनौतियों व आगे के राह के बारे में अपनी बात रखी। राजन ने समिति को एनपीए की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा है कि बैंकों का सकल एनपीए 2016-17 में बढ़ कर 9.3 फीसद हो जाएगा, जो मार्च 2016 में 7.6 फीसद था।
सूत्रों के मुताबिक राजन ने सांसदों को बैंकों के कर्ज परिदृश्य के बारे में भी जानकारी दी। माना जाता है कि उन्होंने सांसदों से कहा कि निजी बैंक कर्ज देने के मामले में ज्यादा सक्रिय हैं। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऐसी स्थिति में भी कर्ज देने के प्रति उदासीन रहते हैं, जबकि कोष की कोई कमी नहीं होती। गवर्नर ने सांसदों को भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ब्रेक्जिट के असर के बारे में भी जानकारी दी।
इससे पहले राजन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। केंद्रीय बैंक और सरकार जल्द से जल्द नई मौद्रिक नीति निर्धारण प्रणाली स्थापित करना चाहते हैं। माना जा रहा है कि यह मुलाकात इसी संदर्भ में हुई है।
जेटली से उनके कार्यालय में मुलाकात के बाद राजन ने संवाददाताओं से कहा कि वित्त मंत्रालय व रिजर्व बैंक हमेशा बात करते रहते हैं।
मालूम हो कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बनाई जा रही है जो नीतिगत ब्याज दर के बारे में फैसला करेगी। फिलहाल रिजर्व बैंक के गवर्नर इस संदर्भ में अंतिम फैसला करते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या नौ अगस्त को होने वाली अगली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले एमपीसी गठित हो जाएगी, राजन ने कहा- मुझे लगता है कि हम ढांचा बना रहे हैं। देखते हैं कहां तक यह जाता है।
मौजूदा व्यवस्था में गवर्नर के पास रिजर्व बैंक समिति की मौद्रिक नीति पर सिफारिश को स्वीकार करने या उसे खारिज करने का अधिकार है। एमपीसी नीतिगत ब्याज दर का निर्धारण बहुमत के आधार पर करेगी। अगर मामला बराबरी पर आता है तो गवर्नर को वोट देने का अधिकार होगा। छह सदस्यीय एमपीसी में रिजर्व बैंक के गवर्नर पदेन चेयरमैन होंगे। इसके अलावा डिप्टी गवर्नर व कार्यकारी निदेशक इसके सदस्य होंगे। तीन अन्य सदस्यों की नियुक्ति सरकार तलाशी-सह-चयन समिति की सिफारिश के आधार पर करेगी। चयन समिति की अध्यक्षता मंत्रिमंडल सचिव करेंगे।