कैंसर के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार ने कैंसर-रोधी दवाओं की कीमत पर नियंत्रण के लिए कदम उठाया है। 42 तरह की दवाओं के दाम कम किए गए हैं। 30 की दर से कैपिंग मार्जिन के साथ 42 गैर-अनुसूचित एंटी-कैंसर दवाओं को मूल्य नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया है। इससे दवाओं के खुदरा दामों में 85 फीसद तक की कमी आएगी। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने सार्वजनिक हित में औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के पैरा 19 के तहत मिली हुई विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए, ट्रेड मार्जिन रेशनलाइजेशन के माध्यम से कैंसर दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में ला दिया है।

नई दरें आठ मार्च से प्रभावी होंगी। देश में कैंसर के बढ़ते मामले मृत्युदर का बड़ा कारण हैं। 2004 में कैंसर के आठ लाख नए मामले सालाना आते थे तो वहीं 2018 में यह संख्या बढ़कर 15 लाख सालाना हो गई है। इनमें से करीब दो तिहाई मरीजों की मौत हो जाती है। ऐसे में एक समय में भारत में करीब 22.5 लाख मरीज हर समय इससे ग्रसित रहते हैं। 2014 में किए अध्ययन में पता चला था कि सभी बीमारियों में कैंसर का इलाज सबसे महंगा है। जिसमें से सबसे बड़ा हिस्सा दवाओं पर खर्च होता है। दवाएं महंगी व पहुंच के बाहर होने के कारण मरीजों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है। अध्ययनों से पता चलता है कि मरीजों के इलाज के लिए घर व खेत-खलिहान तक गिरवी रखना या बेचना पड़ता है। इलाज के कारण कई बार मरीज के परिजन कर्ज में डूब जाते हैं।

लिहाजा, सरकार ने इन दवाओं की कीमतें कम करने की दिशा में कदम उठाया है। एनपीपीए से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, इस तरह से 355 ब्रांड्स व 72 फार्मुलेशन की दवाओं की कीमतों में कमी आएगी। 105 ब्रांड्स का अधिकतम विक्रय मूल्य (एमआरपी) 85 फीसद तक कम हो जाने से उपभोक्ताओं को कम से कम 200 करोड़ रुपए की बचत हो पाएगी। वर्तमान में 57 कैंसर-रोधी दवाएं निर्धारित फॉर्मूलेशन के रूप में मूल्य नियंत्रण सूची में हैं। अब 42 गैर-अनुसूचित एंटी-कैंसर दवाओं के एमआरपी पर अधिकतम 30 फीसद तक व्यापार मार्जिन की सीमा निर्धारित कर दी गई है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इस बारे में बात करते हुए एचसीएफआइ के अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल ने कहा कि यह उन लोगों के लिए लाभदायक रहेगा जो वर्तमान में इन दवाओं की कीमत वहन नहीं कर सकते हैं। यह दवाएं बहुत महंगी हैं और एक आम आदमी की पहुंच से परे हैं। सरकार को कैंसर के शीघ्र निदान को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए। डॉ अग्रवाल ने कहा कि हमारे देश में कैंसर की व्यापकता एकसमान नहीं है।

कितनी कम होंगी कीमतें
105 ब्रांडों का अधिकतम विक्रय मूल्य 85 फीसद तक कम होगा। पांच ब्रांड्स की दवाओं की कीमतों में 70 फीसद की कमी होगी। 12 ब्रांड्स की कीमतों में 50 से 70 फीसद की गिरावट आएगी। 43 ब्रांड्स की कीमतें 25 से 50 फीसद तक सस्ती हो जाएंगी। 45 तरह के ब्रांड्स की कीमतों में करीब 25 फीसद की कमी आ जाएगी