How to Save Income Tax as per Rules: अगर आप अपना पुराना घर बेचने जा रहे हैं तो उससे हुए मुनाफे पर आपको इनकम टैक्स देना पड़ सकता है. इनकम टैक्स के नियमों में आपको इस टैक्स देनदारी से बचाने का उपाय भी बताया गया है. लेकिन अगर आपको आयकर से जुड़े नियमों की पूरी जानकारी नहीं है, तो आप उनका लाभ नहीं ले पाएंगे. इसलिए समझदारी इसी में है कि आप एक घर बेचकर दूसरा खरीदने की अपनी योजना पर अमल करने से पहले ही इससे जुड़े टैक्स के नियमों को अच्छी तरह समझ लें, ताकि बाद में भारी-भरकम टैक्स देनदारी की वजह से पछताना न पड़े. हम आपको पूरी बात एक काल्पनिक उदाहरण के जरिए बताते हैं, ताकि टैक्स का ये मसला आसानी से समझ आ जाए. 

कैसे तय होती है टैक्स देनदारी 

राकेश नया घर खरीदना चाहते हैं. इसके लिए वे अपना 6 साल पहले 50 लाख रुपये में खरीदा गया घर बेचने की योजना बना रहे हैं. उनके पुराने घर का दाम अब बढ़कर 90-95 लाख रुपये के आसपास पहुंच गया है. अब सवाल ये है कि पुराना घर बेचकर नया घर खरीदने पर क्या उन्हें इनकम टैक्स देना पड़ेगा? और देना होगा तो कितना कितना. 50 लाख रुपये में खरीदा गया घर अगर 6 साल बाद 95 लाख रुपये में बिकता है, तो क्या उन्हें पूरी रकम पर टैक्स देना होगा? या फिर 45 लाख रुपये के मुनाफे पर ही टैक्स लगेगा? राकेश को यह तो पता है कि पुराना घर बेचकर नया घर खरीदने पर इनकम टैक्स में कुछ राहत मिलती है. लेकिन उन्हें इससे जुड़े नियमों की पूरी जानकारी नहीं है. 

आयकर के नियम क्या बताते हैं  

रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को बेचने पर होने वाले मुनाफे पर किस हिसाब से इनकम टैक्स देना होगा, इसका डिटेल आयकर अधिनियम की धारा 48 में दिया गया है. इस सेक्शन के मुताबिक किसी रिहायशी मकान या फ्लैट को खरीदने के 24 महीने या उससे ज्यादा वक्त के बाद बेचा जाए तो उससे होने वाले प्रॉफिट को दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ (Long Term Capital Gain – LTCG) कहा जाता है. इस दीर्घकालीन लाभ पर 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है. इस दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ की गणना करने के लिए पुराने घर को खरीदने की लागत को बिक्री करने पर मिली रकम से घटाया जाता है. इस दौरान प्रॉपर्टी की कीमत के अलावा उसके डेवलपमेंट पर हुए खर्च को भी माइनस करते हैं. इसके अलावा प्रॉपर्टी को बेचने के लिए ब्रोकर को दिए जाने वाले कमीशन और वकील की फीस जैसे खर्चों को भी प्रॉफिट से घटाया जाता है. साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलता है. 

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कैसे मिलता है इंडेक्सेशन बेनिफिट 

रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को बेचने से हुए प्रॉफिट की गणना करने से पहले उसकी मौजूदा कॉस्ट निकालनी होती है. इसके लिए प्रॉपर्टी बरसों पुरानी ओरिजनल प्राइस को होल्डिंग पीरियड के दौरान बढ़ी कीमतों के हिसाब से एडजस्ट किया जाता है. इस प्राइस एडजस्टमेंट के लिए सरकार द्वारा हर साल जारी कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) का इस्तेमाल होता है. सीआईआई के जरिये प्रॉपर्टी की सही मौजूदा लागत निकालने को इंडेक्सेशन बेनिफिट भी कहते हैं. इंडेक्सेशन से प्रॉपर्टी की कॉस्ट बढ़ जाती है और प्रॉफिट घट जाता है. और जब प्रॉफिट कम हो जाएगा, तो उस पर लगने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भी घट जाएगा.

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नया घर खरीदने पर कैसे मिलती है टैक्स में छूट

पुरानी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बेचने से हुए मुनाफे का इस्तेमाल करके नया घर खरीदने पर आयकर अधिनियम की धारा 54 के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिल सकती है. यह छूट सिर्फ पर्सनल इनकम टैक्स पेयर्स या हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) को ही मिलती है. इसके साथ ही यह छूट पाने के लिए कुछ और शर्तों को भी पूरा करना पड़ता है: 

  • – बेचा गया मकान रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी होना चाहिए. 
  • – एक रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बेचने के दो साल के भीतर दूसरी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदना जरूरी है.
  • – पुरानी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बेचने की तारीख के एक साल पहले खरीदे गए दूसरे रिहायशी मकान पर भी इस नियम के तहत छूट ली जा सकती है. 
  • – पुराना रिहायशी मकान बेचने के बाद अगर नई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बनाई जा रही है, तो उसका कंस्ट्रक्शन 3 साल में पूरा हो जाना चाहिए. 
  • – नई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी भारत में ही होनी चाहिए. विदेश में घर खरीदने या बनाने के लिए टैक्स में छूट नहीं मिलती. 
  • – धारा 54 और धारा 54 F के तहत कैपिटल गेन्स टैक्स पर मिलने वाली टैक्स छूट के लिए 1 अप्रैल 2023 से 10 करोड़ रुपये की मैक्सिमम लिमिट फिक्स कर दी गई है.
  • – असेसमेंट इयर 2020-21 से लागू रूल्स के मुताबिक कैपिटल गेन्स टैक्स में छूट अधिकतम दो रिहायशी घर खरीदने या बनाने के लिए ली जा सकती है. लेकिन ऐसी स्थिति में मैक्सिमम कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए. 

पूरा मुनाफा नए घर में नहीं लगाने पर क्या होगा?

एक और सवाल ये है कि पुरानी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बेचने से मिला पूरा मुनाफा अगर नया घर खरीदने में निवेश न किया जाए, तो बाकी बची रकम पर कितना आयकर देना होगा? इसका कैलकुलेशन करने के लिए सबसे पहले पुराने घर की लागत में इंडेक्सेशन बेनिफिट, घर के इंप्रूवमेंट पर हुआ खर्च, प्रॉपर्टी बेचने की कॉस्ट को जोड़कर कुल लागत निकाली जाएगी. फिर इस लागत को घर बेचने से मिली रकम में से घटाकर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी प्रॉफिट का कैलकुलेशन करना होगा. इस प्रॉफिट से नया घर खरीदने की लागत को घटाने के बाद भी अगर कोई रकम बच जाती है, तो उस पर 20 प्रतिशत के हिसाब से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. 

ऐसे होगा टैक्स का कैलकुलेशन 

ऊपर दिए उदाहरण की बात करें तो मान लीजिए राकेश की 50 लाख रुपये में खरीदी गई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी 6 साल बाद 95 लाख रुपये में बिकती है. 6 साल के इंडेक्सेशन बेनिफिट, होम इंप्रूवमेंट पर हुए खर्च और ब्रोकर कमीशन को मिलाकर प्रॉपर्टी की मौजूदा कुल लागत 60 लाख रुपये आती है. ऐसे में राकेश का लॉन्ग टर्म गेन 95-60 यानी 35 लाख रुपये होगा. अगर राकेश ये पूरे 35 लाख रुपये नई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने में खर्च कर देते हैं, तब तो सेक्शन 54 के हिसाब से उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. लेकिन अगर इस मुनाफे में से 5 लाख रुपये बच जाते हैं, तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ सकता है.