वस्तु एवं सेवा कर (GST) की स्पष्टता दिखनी शुरू हो गई है। अगर इसमें कोई भी मिसमैच होगा तो वह बच नहीं पाएगा। भले ही टैक्स में अंतर एक रुपए से भी कम का क्यों न हो। इसकी स्पष्टता के लिए जीएसटी अधिकारी दशमलव के बाद 17 अंक तक जा सकते हैं। इसमें मिसमैच को बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हाल ही में मिसमैच का एक मामला अहमदाबाद की एक इंजीनियरिंग कंपनी का सामने आया है। टैक्स में 0.77999999999883585 रुपए का अंतर होने पर इनकम टैक्स विभाग ने कंपनी को नोटिस भेज दिया है। नोटिस में कहा गया है कि GST-1 और GST-3B के बीच जो पैसे का अंतर आया है उसे स्पष्ट करें। यह अंतर अक्टूबर 2017 से दिसंबर 2017 के बीच का है। इसमें 0.77999999999883585 रुपए का अंतर है।
जिन कंपनियों के टैक्स भुगतान फाइनल सेल्स रिटर्न से मेल नहीं खाए हैं उन कंपनियों को जीएसटी के अधिकारियों ने जांच नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। जीएसटी के भुगतान में 34 फीसदी की कमी आई है। जीएसटी अधिकारी GSTR-1 और GSTR-2A को मिलाकर देख रहे हैं। इस दौरान जिन कंपनियों या कारोबारियों का हिसाब मैच नहीं हो रहा है, ऐसे लोगों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया गया है। बता दें कि GSTR-1 में कारोबारी बिक्री का ब्यौरा देते हैं। जबकि GSTR-2A रिटर्न में खरीदारी की जानकारी देनी होती है। मार्च में राजस्व विभाग द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, 34 फीसदी व्यवसायों ने जुलाई-दिसंबर के बीच 34,400 करोड़ रुपये का टैक्स कम दिया। इन 34 प्रतिशत व्यवसायों ने GST-3B फाइल करके सरकारी खजाने को 8.16 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया है। वहीं इनके GSTR-1 के डेटा के मुताबिक इन्हें कुल 8.5 लाख करोड़ रुपए का टैक्स देना था।
हाल ही में जीएसटी परिषद की बैठक हुई थी। इसमें रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने को लेकर चर्चा हुई थी। इसके अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि कैशलेस लेनदेन करने वालों को 2 फीसदी की छूट मिलेगी। हालांकि यह छूट अधिकतम 100 रुपए की होगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि चीनी उत्पादकों पर सेस लगाने पर विचार किया जाएगा। इसके लिए मंत्रियों का एक समूह बनाने पर सहमति बनी है। बता दें कि मोदी सरकार लगातार कैशलेस लेन देन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है। जीएसटी परिषद की तरफ से डिजिटल ट्रांजैक्शन पर दो फीसदी की छूट देना इसी पहल का एक हिस्सा है।