फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी 18 महीनों में 3 लाख लोगों को जॉब देगा। इसके साथ ही फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म की मैनपॉवर 5 लाख तक पहुंच जाएगी। अगर ऐसा होता है तो स्विगी भारतीय सेना, रेलवे के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी नियोक्ता होगी।

गीगाबाइट्स के वार्षिक तकनीकी सम्मेलन में स्विगी के को-फाउंडर और सीईओ श्रीहर्ष मजेटी ने कहा, ‘हमने कंपनी के विकास का जो अनुमान लगाया है अगर वह सही रहता है तो हम देश में आर्मी और रेलवे के बाद रोजगार सृजन करने वाले तीसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बन सकते हैं। इस उपलब्धि को हासिल करने में ज्यादा साल नहीं लगने वाले।’

मालूम हो कि भारतीय सेना में 12.5 तो वहीं भारतीय रेलवे में 12 लाख लोग काम कर रहे हैं। यह आंकड़ा मार्च 2018 तक का है। बात करें प्राइवेट कंपनियों की तो टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में 4.5 लाख लोग काम कर रहे हैं। अगर स्विगी अपने कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी करता है तो वह टीसीएस को पछाड़कर प्राइवेट सेक्टर की सबसे बड़ी नियोक्ता होगी।

हालांकि ये तीनों कंपनियां अपने कर्मचारियों को स्थायी नौकरियां देती है। वहीं बात करें स्विगी की तो यह कंपनी ‘ब्लूकॉलर जॉब’ के तहत अपने कर्मचारियों को पेमेंट करती है। यानि कि डिलिवरी कर्मचारियों को उनके काम के आधार पर पैसा दिया जाता है। स्विगी में 2.1 लाख मंथली एक्टिव डिलीवरी स्टाफ और 8 हजार कर्मचारी पेरोल पर हैं।

स्विगी की प्रतिद्वंदी कंपनी जोमैटो के पास सितंबर महीन में 2.3 लाख डिलीवरी एग्जीक्यूटिव हैं। वहीं ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में एक लाख डिलीवरी एग्जीक्यूटिव हैं जबकि अमेजन इंडिया ने अपने कुल डिलीवरी एग्जीक्यूटिव का खुलासा नहीं करती है।

वहीं सीईओ ने यह भी बताया कि अगले 10 से 15 साल में 10 करोड़ ग्राहक प्रति महीने 15 बार ट्रांजैक्शन करें कंपनी इस लक्ष्य को हासिल करना चाहती है। बता दें कि वर्तमान में स्विगी का 3.3 बिलियन डॉलर की कंपनी बन चुकी है और भारत में लगभग 500 शहरों में अपने सेवाएं दे रही है।