उच्चतम न्यायालय ने आधार योजना के तहत आंकड़े एकत्र करने सहित इस कवायद की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिका पर आज केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया। न्यायालय ने केन्द्र से कहा है कि संप्रग के कार्यकाल के दौरान शुरू हुयी इस योजना पर स्थिति स्पष्ट की जाये।

प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हालांकि इस याचिका पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी नहीं किये लेकिन सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि इस संबंध में केन्द्र सरकार के दृष्टिकोण से उन्हें अवगत कराय जाये। न्यायालय इस मामले में अब 13 फरवरी को आगे सुनवाई करेगा।

जनहित याचिका दायर करने वाले मैथ्यू थॉमस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने कहा कि संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन करते हुये नागरिकों का निजी विवरण मांगा जा रहा है।

याचिका में आधार योजना के संबंध में योजना आयोग द्वारा 28 जनवरी, 2009 को जारी अधिसूचना रद्द करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में इस अधिसूचना के तहत एकत्र की गयी सारी जानकारी नष्ट करने का निर्देश केन्द्र और विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को देने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि इस अधिसूचना के बाद प्राधिकरण ने भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत विवरण का संग्रह करने के लिये विशिष्ट पहचान पत्र योजना ‘आधार’ शुरू की। याचिका के अनुसार विभिन्न सरकारी संस्थाओं ने आवश्यक सुविधाओं का लाभ उठाने और वेतन निकालने आदि के लिये आधार कार्ड का होना जरूरी बना दिया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि नागरिकों के व्यक्तिगत विवरण एकत्र करने वाली सुरक्षा एजेन्सियों की पृष्ठभूमि की गहराई से छानबीन नहीं की गयी है और गैरकानूनी प्रवासियों को भी आधार कार्ड मुहैया कराये जा रहे हैं ताकि वे सिर्फ भारतीय नागरिकों के निमित्त केन्द्र सरकार की सुविधाओं का लाभ उठा सकें।