देश की दिग्गज एफएमसीजी कंपनी आईटीसी ने मसाला निर्माता सनराइज फूड प्राइवेट लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया है। आईटीसी ने 2,150 करोड़ रुपये में सनराइज फूड्स का अधिग्रहण किया है। कंपनी के मुताबिक यह पूरी तरह से कैश डील है। खुद को एफएमसीजी सेक्टर में स्थापित करने में जुटी आईटीसी के लिए यह डील बेहद महत्वपूर्ण है। कोलकाता स्थित कंपनी सनराइज फूड के अधिग्रहण से आईटीसी को मसालों के बिजनेस में भी अपनी पैठ बनाने में मदद मिलेगी। फिलहाल आशीर्वाद ब्रांड के जरिए आईटीसी की इस सेक्टर में मौजूदगी है।

आईटीसी ने कहा, ‘कंपनी ने सनराइज फूड के 100 फीसदी इक्विटी शेयर का अधिग्रहण कर लिया है। दोनों के बीच 27 जुलाई को यह डील हुई है।’ इसके साथ ही सनराइज फूड की सहायक कंपनियां सनराइज शीतग्रह प्राइवेट लिमिटेड और हॉबिट्स इंटरनेशनल फूड्स प्राइवेट लिमिटेड भी अब आईटीसी के नियंत्रण में होंगी। बीते करीब 70 सालों में सनराइज पूर्वी भारत समेत देश के बड़े हिस्से में मसाला कारोबार के क्षेत्र में बड़ी कंपनी के तौर पर उभरी है। आइए जानते हैं, कैसे हुआ था सनराइज का राइज और कैसे हुई स्थापना…

सनराइज फूड प्राइवेट लिमिटेड की वेबसाइट के मुताबिक पंडित ईश्वरी प्रसाद शर्मा ने 1902 में कोलकाता में मसालों के कारोबार की शुरुआत की थी। गुणवत्ता होने के चलते मांग में इजाफा होने लगा और फिर बिजनेस का विस्तार हुआ तो उनके बेटे पंडित मेवाराम शर्मा भी इससे जुड़े और तेजी से विस्तार किया। इसके बाद पंडित मेवाराम शर्मा के तीन बेटे ओम प्रकाश शर्मा, राम प्रकाश शर्मा और सत्य प्रकाश शर्मा भी इस बिजनेस से जुड़े और 1950 में सनराइज ब्रांड की स्थापना हुई। इसके बाद तेजी से कंपनी ने विस्तार करते हुए घर-घर तक अपनी पहुंच बनाने का काम किया। 2019-20 में कंपनी का टर्नओवर 591 करोड़ रुपये का था।

फिलहाल कंपनी की कोलकाता, आगरा, जयपुर और बीकानेर शहर में फैक्ट्रियां हैं, जहां प्रोडकट्स तैयार किए जाते हैं। फिलहाल सनराइज ब्रांड का चना मसाला, पाव भाजी मसाला, तड़का मसाला, सांभर मसाला, मीट मसाला, बिरयानी पुलाव मसाला, सरसों तेल, पापड़, हींग समेत कई अन्य प्रोडक्ट्स का कारोबार है। इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक आईटीसी ने इस डील के जरिए मसाला उत्पादों के सेक्टर में भी अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए यह डील की है।