PPF vs NPS vs SSY Minimum Deposit Money: देश में कई सारी ऐसी सरकारी स्कीम हैं जिनमें हम टैक्स बचाने के लिए निवेश करते हैं। Public Provident Fund (PPF), Sukanya Samriddhi Yojana (SSY) और National Pension System (NPS) ऐसी स्कीम हैं जिनमें हर वित्तीय वर्ष में न्यूनतम पैसा जमा करना जरूरी है। मिनीमम अमाउंट जमा ना करने पर ये अकाउंट इनएक्टिव हो सकते हैं। अगर आप हर फाइनेंशियल ईयर में जरूरी न्यूनतम पैसा पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में जमा नहीं करेंगे तो आपको पेनल्ट भी देनी पड़ सकती है।

बता दें कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की आखिरी तारीख जल्द आने वाली है। अगर आपने भी इन स्कीम में 31 मार्च 2024 तक न्यूनतम पैसा जमा नहीं किया है तो जल्द डिपॉजिट करें। बता दें कि PPF, SSY और NPS जैसी स्कीम टैक्स बचत करने में मदद करती हैं। अगर आप पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्स पे करते हैं तो ये स्कीम काफी काम आती हैं। आज हम आपको बता रहे हैं इन स्कीम में हर साल कम से कम कितना पैसा जमा करना जरूरी है ताकि अकाउंट एक्टिव रहे और आपको पेनल्टी ना भरनी पड़े।

Sukanya Samriddhi Yojana (SSY)

सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) एक और ऐसी स्कीम है जिसमें निवेश करने से टैक्स में बचत होती है। बता दें कि इस स्कीम को खास तौर पर गर्ल चाइल्ड यानी बेटियों के भविष्य की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया है। इस स्कीम में अकाउंट होल्डर को कम से कम 250 रुपये हर वित्तीय वर्ष में डिपॉजिट करने की जरूरत होती है।

अगर आप सुकन्या समृद्धि योजना अकाउंट में एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 250 रुपये जमा नहीं करते हैं तो अकाउंट डिफॉल्ट हो जाएगा। हालांकि, इस स्कीम में एक खास बात है कि मैच्योरिटी से पहले इस अकाउंट कभी भी रीएक्टिवेट किया जा सकता है। अकाउंट को रीएक्टिवेट करने के लिए हर डिफॉल्ट ईयर के हिसाब से 50 रुपये डिफॉल्ट शुल्क देना होगा। इसके अलावा, उन्हें हर डिफॉल्ट ईयर के लिए कम से कम 250 रुपये फी चार्ज करनी होगी।

अगर डिफॉल्ट हुए SSY अकाउंट को रिवाइव नहीं किया जाता है तो खाते में मौजूद पैसे को मैच्योरिटी पर ही पे करना होगा। SSY अकाउंट खाता खुलने की तारीख के 21 साल बाद मैच्योर होता है। या फिर बेटी के 18 साल के होने के बाद शादी के समय भी इस अकाउंट से पूरा पैसा निकाला जा सकता है।

Public Provident Fund (PPF)

2019, PPF नियमों के मुताबिक, पब्लिक प्रोविडेंट फंड में हर फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 500 रुपये जमा करना जरूरी है। अगर आप इस न्यूनतम अमाउंट भी अकाउंट में जमा नहीं करेंगे तो आपका अकाउंट इनएक्टिव हो जाएगा।

आपको बता दें कि अकाउंट इनएक्टिव होने की स्थिति में आप लोन और विड्रॉ जैसे फायदे नहीं उठा सकते। बता दें कि आमतौर पर ये सुविधाएं अकाउंट खुलने के तीसरे और छठे साल से मिलनी शुरू होती हैं।

मैच्योरिटी से पहले इनएक्टिव हुए PPF अकाउंट को रीएक्टिवेट करने के लिए खाताधारक को हर डिफॉल्ट ईयर में 50 रुपये के हिसाब से शुल्क देना होता है। इसके अलावा, उन्हें हर साल के लिए कम से कम 500 रुपये पीपीएफ अकाउंट में जमा भी करने होंगे। यानी पीपीएफ अकाउंट (PPF Account) को रीएक्टिवेट करने के लिए अकाउंट होल्डर को हर डिफॉल्ट साल के लिए 550 रुपये चुकाने होंगे।

आपको बता दें कि पीपीएफ अकाउंट, ओपनिंग डेट यानी खुलने की तारीख से 16 साल बाद मैच्योर होता है। लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में समय स पहले पैसा निकाला जा सकता है। अगर पीपीएफ अकाउंट बंद हो जोता है तो फंड्स को मैच्योरिटी पर ही निकाला जा सकेगा। और मैच्योर होने पर पांच साल के ब्लॉक में इसे एक्सटेंड नहीं किया जा सकता।

National Pension System (NPS)

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में बहुत सारे लोग टैक्स बेनिफिट के लिए निवेश करते हैं। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये तक निवेश करने पर टैक्स में छूट पाई जा सकती है। बता दें कि यह छूट, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली छूट के 1.5 लाख रुपये के अलावा है। NPS के नियमों के तहत कोई भी खाताधारक को अपने अकाउंट में हर वित्तीय वर्ष में कम से कम 1000 रुपये का न्यूनतम अमाउंट जमा करना जरूरी है।

एनपीएस अकाउंट में न्यूनतम डिपॉजिट ना होने पर यह खाता फ्रीज़ हो जाता है। हालांकि, अकाउंट के फ्रीज होने पर भी एनपीएस ट्रस्ट की तरफ से कोई पेनल्टी चार्ज नहीं लगता है। लेकिन कुछ मामलों में पेनल्टी देनी पड़ती है।

इनकम टैक्स एक्ट के Section 80CCD(2) के तहत कर्मचारी के NPS Tier-I अकाउंट में मौजूद ग्रॉस टोटल इनकम में से कर्मचारी द्वारा जमा किया गया पैसा निकाला जा सकता है। सैलरी का अधिकतम 10 प्रतिशत हिस्सा क्लेम किया जा सकता है। वहीं सरकारी कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 14 प्रतिशत है। पुराने और नए टैक्स रिजीम के तहत यह निकासी की जा सकती है।