आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की प्रतिबद्धता के प्रति भारतीय उद्योग जगत को आश्वस्त करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि सरकार सबसिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए और कदम उठाएगी। जेटली ने कहा कि मेरी व्यय प्रबंधन आयोग के साथ कई बैठकें हुई हैं। वे सबसिडी को तर्कसंगत बनाने के संबंध में कुछ अहम सुझावों पर काम कर रहे हैं। जेटली ने कहा कि अगले कुछ महीनों में हो सकता है कि इससे पहले ही वह कुछ अंतरिम सिफारिश हमारे समक्ष लाएं ताकि हम उस दिशा में आगे बढ़ सकें।
डीजल मूल्य को बाजार के हवाले करने के सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए मंत्री ने इंडिया इकनोमिक कान्क्लेव में कहा कि इससे सरकार के सबसिडी बोझ को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सरकार ने हाल ही में चुनिंदा शहरों में शुरुआती योजना के तहत एलपीजी ग्राहकों को सीधे नकद सबसिडी देने का फैसला किया है।
केंद्र ने पूर्व आरबीआइ गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है जो सबसिडी को तर्कसंगत बनाने के संबंध में और प्रभावी तरीके से राजकोषीय घाटा कम करने के सुझाव देगा। सरकार फिलहाल कई तरह की लाखों करोड़ रुपए की सबसिडी प्रदान करती है। अनुमान है कि 2014-15 में सबसिडी 2.51 लाख करोड़ रुपए रहेगी।
एक टेलीविजन चैनल की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में जेटली ने भरोसा जताया कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बीमा और जीएसटी विधेयकों को आगे बढ़ा सकेगी। राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं होने के मद्देनजर इन विधेयकों को पारित कराने के लिए संयुक्त सत्र आयोजित करने के संबंध में सरकार के विचार के मामले में उन्होंने कहा कि हम इन विधेयकों को पारित कराने के लिए दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को अंतिम उपाय के तौर पर नहीं अपनाना चाहते। लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी होता है तो यह संवैधानिक जरिया होगा।
इस्पात क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सेल की हिस्सेदारी बिक्री पर बाजार की प्रतिक्रिया को उत्साहजनक करार देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि बाजार में मजबूती और गहराई बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का विनिवेश कार्यक्रम शुक्रवार को शुरू हुआ और बाजार की प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही। विशेष तौर पर खुदरा निवेशकों ने सेल की पेशकश को ढाई गुना अभिदान दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी उपक्रमों के शेयर विनिवेश में खुदरा निवेशकों का बड़े पैमाने पर आगे आना भी एक संकेत है, बाजार की गहराई बढ़ती नजर आती है।
सेल की शेयर बिक्री पेशकश चालू वित्तीय साल की पहली विनिवेश पेशकश है और इसे दोगुना से ज्यादा अभिदान मिला जिससे सरकारी खजाने में 1,715 करोड़ रुपए आए। सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए 43,425 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है।
वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि सरकार प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य हासिल कर लेगी। उन्होंने कहा- प्रत्यक्ष राजस्व के लिहाज से जैसा मैंने पहले कहा था, उसके बेहद करीब हूं .. मेरी वास्तविक चुनौती अप्रत्यक्ष कर की है और अप्रत्यक्ष कर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि के साथ जुड़ा है। फिलहाल अप्रत्यक्ष कर संग्रह धीरे-धीरे बढ़ रहा है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में हम इस दिशा में उल्लेखनीय गतिविधि देख सकते हैं।
सरकार का चालू वित्तीय साल में 7.36 लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष कर संग्रह जुटाने का लक्ष्य है। इस मद में पिछले साल 6.36 लाख करोड़ रुपए की वसूली की गई थी। अप्रत्यक्ष कर के तौर पर 6.24 लाख करोड़ रुपए के संग्रह का लक्ष्य है जो 2013-14 के स्तर से 20.28 फीसद ज्यादा है।
भूमि अधिग्रहण कानून के संबंध में जेटली ने कहा कि इससे बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हुई है और उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार अगले कुछ हफ्ते में इसका समाधान ढूंढ लेगी। उन्होंने कहा कि जब तक कानून में कुछ बदलाव नहीं हो जाते और प्रक्रिया आसान नहीं हो जाती, इसका भारतीय अर्थव्यवस्था की भावी वृद्धि पर असर पड़ेगा। मैं इस मुद्दे पर सरकार के भीतर और विपक्ष के सहयोगियों के साथ सक्रिय चर्चा में शामिल रहा हूं। जेटली ने कहा कि मुझे भरोसा है कि अगले कुछ महीनों में हम इस समस्या का प्रभावी हल ढूंढ लेंगे।
सम्मेलन में आइसीआइसीआइ बैंक की मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने कहा कि मुझे लगता है कि पूरी कोशिश (नई सरकार की विनिर्माण को बढ़ावा देने की कोशिश) दिशा के लिहाज से बड़ी उपलब्धि है। सरकार के लिए केंद्रीय क्षेत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि करना यह चाहिए कि अब तक अटकी पड़ी विभिन्न परियोजनाओं को अंतिम स्वरूप दिया जाए। इसके अलावा आपूर्ति पक्ष को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि दीर्घकालिक स्तर पर मुद्रास्फीति पर लगाम लगाई जा सके। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में आपूर्ति में सुधार हो, क्योंकि यही एक जरिया है जिससे दीर्घकाल में संरचनात्मक ढंग से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
