भारतीय शेयर बाजार में इस साल की शुरुआत से ही गिरावट का दौर रहा है। इस गिरावट को रूस यूक्रेन युद्ध ने मानो और तेज कर दिया है, जिसके कारण पिछले छह कारोबारी सत्रों में से चार सत्रों में गिरावट हुई है। बाजार मे गिरावट के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भरोसा भी भारत पर कम होता नजर आ रहा है और बाजार में लगातार एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं।

FPI ने की 2 लाख करोड़ की बिकवाली: एफपीआई अक्टूबर से अब तक शेयर बाजार में 2 लाख करोड़ से अधिक की बिकवाली कर चुके हैं। एफपीआई की तरफ से डॉलर की मांग बढ़ने कारण रुपए में भी दबाव देखने को मिल रहा है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की कीमत सबसे न्यूनतम स्तर 76.77 रुपए पर पहुंच गई है।

मार्च की बात करें तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले तीन कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने 18,614 करोड़ रुपए की बिकवाली की है।

बाजार में ही 13 फीसदी की गिरावट:एफपीआई की बिकवाली, महंगा कच्चा तेल और यूक्रेन युद्ध के कारण शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों में गिरावट हुई है। एनएसई के मुख्य सूचकांक निफ्टी 50 ने सबसे उच्चतम स्तर 18,604 अंक को 19 अक्टूबर 2021 छुआ था, जिसके बाद से बाजार में 13 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।

कच्चे तेल की कीमतों ने बढ़ाई चिंता: इन्वेस्टमेंट बैंकर मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक कच्चे तेल के दामों में 25 फ़ीसदी तक की वृद्धि होने से चालू राजकोषीय घाटे में 75 आधार अंक या 0.75 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा महंगाई में भी 100 आधार अंक या 1 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।

ब्याज दर बढ़ने से सहमें बाजार: दूसरी तरफ बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए दुनिया के सभी केंद्रीय बैंक एक के बाद एक ब्याज दर बढ़ाने का ऐलान कर रहे हैं, जिसके कारण शेयर बाजार में लिक्विडिटी घटने का खतरा है। अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने कहा कि 15 से 16 मार्च तक 0.5 फीसदी तक ब्याज दर बढ़ सकती है।