कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया गुरुवार से शुरू करने का रास्ता साफ करते हुए सरकार ने खानों के आबंटन के लिए कोयला अध्यादेश व उससे जुड़े जरूरी दिशानिर्देशों को फिर से जारी करने को बुधवार को मंजूरी दे दी। सरकार ने यह भी कहा है कि कोयला खान वाले राज्यों को खानों के आबंटन और नीलामी की नई व्यवस्था में अगले 30 साल में सात लाख करोड़ रुपए का फायदा होगा।
इन राज्यों में ओड़िशा, झारखंड व पश्चिम बंगाल शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जिन 204 कोयला खानों का आबंटन रद्द किया है, उनमें से अधिकतर इन्हीं राज्यों में हैं। अब सरकार इन खानों को नीलामी से या सीधे फिर से आबंटित कर रही है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अध्यादेश के साथ दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है। इससे 24 खानों की नीलामी की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू हो जाएगी। इसमें बिजलीघरों के लिए सात और इस्पात व सीमेंट संयंत्रों में खुद के इस्तेमाल के लिए और निजी उपयोग के बिजली संयंत्रों के लिए 16 ब्लॉक रखे गए हैं। सरकार को यह अध्यादेश फिर से जारी करने की जरूरत पड़ी है क्योंकि राज्यसभा में कोयला खान (विशेष प्रावधान) बाकी पेज 8 पर विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोकसभा ने कोयला अध्यादेश को मंजूरी दे दी लेकिन इस पर राज्यसभा में चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। अध्यादेश फिर से लाने से कोयला खानों के आबंटन की प्रक्रिया दोबारा शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि तौरतरीकों को लेकर दिशानिर्देश को भी मंजूरी दी गई है। अरुण जेटली ने जोर देकर कहा कि अगर संसद कामकाज की अनुमति नहीं देती है तो संविधान ने ऐसी व्यवस्था दी है ताकि फैसले की प्रक्रिया में रुकावट न आए। गतिरोध और अडंगेबाजी लगातार नहीं चल सकती।
कोयला व बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि नीलामी से न केवल झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा जैसे पूर्वी राज्यों को लाखों करोड़ रुपए का फायदा होगा बल्कि आम लोगों के लिए बिजली दरें भी कम करने में मदद मिलेगी। एमएसटीसी नीलामी का आयोजन करेगी जबकि एसबीआइ कैप लेन-देन सलाहकार है।
खानों में परिचालन शुरू करने के लिए प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी। कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने कहा कि मोटे अनुमान के तहत कोयले वाले इन पूर्वी राज्यों को अगले 30 साल में नीलामी और रायल्टी से करीब सात लाख करोड़ रुपए का फायदा होगा। गोयल ने कहा कि नीलामी व आबंटन से आयात कम होगा और तापीय कोयला आयात में भी काफी कटौती हो सकती है। सरकार का अगले दो-तीन साल में इसे पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य है।