दुनिया की तीसरी और कोका कोला की दूसरी सबसे ज्यादा बिकने वाली ड्रिंक स्प्राइट अब नए रंग रूप में दिखाई देगी। दरअसल, स्प्राइट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी कोका कोला ने स्प्राइट की लॉन्चिंग के 60 साल बाद इसकी बोतल का कलर बदलने का फैसला किया है। इसके बाद पूरी दुनिया में स्प्राइट की बोतल हरी नहीं बल्कि सफेद दिखेगी। इसके साथ-साथ इसके लोगो में भी कुछ बदलाव किए गए हैं। स्प्राइट की पैकेजिंग में किए गए बदलाव 1 अगस्त से पूरी दुनिया में लागू हो जाएंगे।
क्यों किया बोतल का रंग बदलने का फैसला?
कोका कोला की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, यह फैसला पर्यावरण की बेहतरी के लिए लिया गया है। कंपनी ने स्प्राइट ही नहीं अन्य दूसरे प्रोडक्ट की बोतलों का रंग सफेद रखने का फैसला किया है।
स्प्राइट की हरे रंग की बोतल पर कंपनी का कहना है कि इसकी बोतल ‘टेरेफ्लेथेट’ नाम की प्लास्टिक से बनाई जाती है। इस प्लास्टिक को रिसाइकल तो किया जा सकता है, लेकिन दोबारा बोतल में नहीं बदल सकते हैं। रंगीन बोतलों को रिसाइकल करना आसान नहीं होता है यह प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसके जरिए केवल कारपेट अथवा कपड़े ही बनाए जा सकते हैं। कंपनी का कहना है कि इस बदलाव की शुरुआत नॉर्थ अमेरिका में सबसे पहले होगी जिसके बाद पूरी दुनिया में यह लागू हो जाएगा। हालांकि फिलीपींस में 2019 से ही स्प्राइट को सफेद बोतलों में बेचा जा रहा है।
क्यों रखा था हरा रंग?
कोका कोला ने स्प्राइट को अमेरिका में 1961 में लांच किया गया था। कंपनी ने बाजार में ऐसे पेप्सिको की 7up का मुकाबला करने के लिए उतारा था। हरा रंग स्प्राइट की पहचान माना जाता है जिस वजह से यह घर-घर में पॉपुलर हुआ। कंपनी की ओर से स्प्राइट की नई बोतल पर हरे रंग का लेबल है जिस पर सफेद कलर से स्प्राइट लिखा हुआ है।
2030 तक हर बोतल को रिसाइकल करना है लक्ष्य
कोका कोला ने 2030 अपने प्लांट से निकली हुई हर बोतल को रिसाइकल करने का लक्ष्य रखा है, जिसकी शुरुआत कंपनी ने 2018 से ‘वर्ल्ड विदाउट बेस्ट’ की पहल के जरिए कर दी थी। इसके साथ ही कंपनी का कहना था कि आने वाले समय में वे अपनी 50 फीसदी प्रोडक्ट्स को रिसाइकल की हुई बोतलों में बेचेगा। कंपनी के इस कदम को ग्रीनहाउस गैसेस को कम करने और प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को कम करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।
