देश की दिग्गज आईटी कंपनी एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर ने कंपनी के चेयरमैन का पद छोड़ दिया है। उनकी बेटी रोशनी नाडर मल्होत्रा अब उनकी जगह लेंगी। हालांकि एचसीएल के टेक डिविजन के वह मैनेजिंग डायरेक्टर बने रहेंगे। इसके अलावा चीफ स्ट्रेटेजी ऑफिसर के तौर पर भी वह कामकाज देख रहे हैं। देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में नाडर ने बेटी रोशनी की 2013 में ही एडिशनल डायरेक्टर के तौर पर एंट्री कराई थी। अमेरिका से एमबीए की डिग्री हासिल करने वालीं रोशनी नाडर मल्होत्रा इससे पहले भी शिव नाडर फाउंडेशन की ट्रस्टी रही हैं। अब तक कंपनी के सामाजिक कामों को देखने वाली रोशनी अब पूरी तरह से मुखिया के रोल में होंगी। 2019 में रोशनी को फोर्ब्स की 100 सबसे ज्यादातर ताकतवर महिलाओं की सूची में 54वें स्थान पर रखा गया था।
देश की दिग्गज टेक एक्सपोर्ट कंपनी एचसीएल की स्थापना का किस्सा भी बेहद रोचक है। देश के बड़े आंत्रप्रेन्योर के तौर पर पहचान रखने वाले शिव नाडर ने 1976 में अपने 5 अन्य साथियों संग इस कंपनी की स्थापना की थी। आइए जानते हैं, कैसे महज 20 लाख रुपये में शिव नाडर ने खड़ी की थी यह कंपनी…
लंच के दौरान आया कंपनी बनाने का आइडिया: दरअसल यह 1976 का वाकया है, जब शिव नाडर दिल्ली क्लॉथ मिल्स में काम करते थे। एक दिन वह अपने 5 अन्य इंजीनियर साथियों के साथ डीसीएम के कैलकुलेटर डिविजन की कैंटीन में लंच कर रहे थे। सभी इंजीनियरों कंपनी के कैलकुलेटर डिविजन को लेकर बहुत ज्यादा खुश नहीं थे। लंच के बीच ही सभी के बीच चर्चा हुई कि एक नई कंपनी खड़ी की जाए। इस पूरे आइडिया का केंद्र शिव नाडर ही थे और अंत में सभी ने नौकरियां छोड़ दीं और एक नई कंपनी स्थापित की, जिसका नाम रखा गया- हिंदुस्तान कम्प्यूटर्स लिमिटेड यानी एचसीएल।
20 लाख की फंडिंग से शुरू हुआ काम: कैलकुलेटर डिविजन में काम करते हुए शिव नाडर और उनके साथियों को काफी तकनीकी जानकारी थी, लेकिन फंडिंग को लेकर उन्हें बहुत ज्यादा मदद नहीं मिल पा रही थी। अंत में 20 लाख रुपये की रकम जुट पाई थी और कंपनी चल निकली। शिव नाडर ने एक बार कंपनी की स्थापना के बारे में बताते हुए कहा था, ‘सबसे पहले जिस शख्स से मेरी मुलाकात हुई थी। वह भी मेरी तरह ही मैनेजमेंट ट्रेनी थे। वह मुझसे कुछ बैच जूनियर थे। हम दोनों अच्छे दोस्त बने और फिर कुछ और दोस्त जुड़े थे। इसके बाद डीसीएम के लिए काम करने वाले हम सभी 6 साथियों ने साथ मिलकर कंपनी स्थापित की।’
जनता सरकार के आने से हुआ HCL का उभार: इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के मुताबिक एचसीएल को बड़ी उछाल 1977 में जॉर्ज फर्नांडीज सरकार के इंडस्ट्री मिनिस्टर के बाद मिली थी। दरअसल उस दौर में कोकाकोला और आईबीएम जैसी कंपनियों को अपना कारोबार समेटना पड़ गया था। आईबीएम के भारत छोड़ने का सीधा लाभ एचसीएल को मिला था क्योंकि इंडस्ट्री में एक बड़ा वैक्यूम हुआ था और उसकी भरपाई एचसीएल ने की थी।