टाटा संस और शापूरजी पलोनजी ग्रुप की 70 साल पुरानी कारोबारी दोस्ती अब टूटने के कगार पर है। कई सालों से चल रही कानूनी लड़ाई के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में शापूरजी पलोनजी ग्रुप ने कहा है कि अब टाटा संस से अलग होने का वक्त आ गया है। टाटा संस से शापूरजी ग्रुप के अलग होने की कहानी जितनी पेचीदा है, शामिल होने का किस्सा उतना ही दिलचस्प है। मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाटा संस में शापूरजी फैमिली की ओर से हिस्सेदारी खरीदे जाने को लेकर दो कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी यह है कि 1960 से 1970 के दौरान जेआरडी टाटा के परिजनों ने अपनी हिस्सेदारी शापूरजी फैमिली को बेच दी थी। लेकिन इससे भी चर्चित एक और कहानी है कि शापूरजी फैमिली को दो करोड़ रुपये के कर्ज के एवज में टाटा संस में एंट्री मिली थी।

कहा जाता है कि 1920 में टाटा स्टील और टाटा हाइड्रो कर्ज के संकट से जूझ रहे थे। इससे निपटने के लिए टाटा संस ने पारसी कारोबारी फ्रामरोज एडुल्जी दिनशॉ से संपर्क किया था। पेशे से वकील और बड़े जमींदार दिनशॉ ने टाटा ग्रुप को 2 करोड़ रुपये का कर्ज उस दौर में दिया था। इसके एवज में ही उन्हें 12.5 फीसदी की हिस्सेदारी मिल गई थी। दिनशॉ के निधन के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने यह हिस्सेदारी 1936 में शापूरजी पलोनजी को बेच दी थी। इस तरह से शापूरजी फैमिली की टाटा संस में एंट्री हुई थी। यह शापूरजी पलोनजी साइरस मिस्त्री के दादा थे। मिस्त्री को 2016 में रतन टाटा से मतभेदों के चलते ग्रुप के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था।

अब अहम सवाल यह है कि आखिर 12.5 फीसदी की हिस्सेदारी 18 पर्सेंट कैसे हो गई। दरअसल जेआरडी टाटा के परिजनों ने 1970 कुछ हिस्सेदारी बेची थी और उसे शापूरजी पलोनजी ग्रुप ने खरीद लिया था। इस तरह से यह 17 पर्सेंट हो गई थी। इसके बाद 1996 में टाटा संस ने राइट्स इश्यू ऑफर किए थे, जिससे शापूरजी पलोनजी ग्रुप की हिस्सेदारी बढ़कर 18 पर्सेंट से ज्यादा हो गई थी। फिलहाल शापूरजी पलोनजी ग्रुप की हिस्सेदारी 18.37 पर्सेंट है। टाटा संस के माइनॉरिटी स्टेकहोल्डर्स की बात करें को शापूरजी पलोनजी ग्रुप की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है।

साइरस मिस्त्री ने 2013 को टाटा संस के चेयरमैन की कमान दी गई थी। यह पहला मौका था, जब टाटा फैमिली से बाहर के किसी व्यक्ति को यह जिम्मेदारी मिली थी। लेकिन ब्रिटेन में टाटा स्टील के कारोबार को बेचने को लेकर रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच मतभेद पैदा हो गए थे। इसके बाद 2016 में साइरस मिस्त्री बाहर हो गए थे। फिर टाटा संस और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के बीच चली लंबी लड़ाई के बाद दोनों ने अलग होने का फैसला लिया। जानकारों के मुताबिक शापूरजी पलोनजी ग्रुप के शेयरों की कीमत 1.48 लाख करोड़ रुपये है।