केंद्र सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) और विदेश व्यापार कानूनों में बदलाव कर इन्हें प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था के अनुकूल बनाएगी। वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने यह जानकारी दी। तेवतिया ने कहा, ‘सेज और विदेश व्यापार कानूनों में उचित बदलाव किए जाएंगे जिससे इन्हें जीएसटी के अनुकूल बनाया जा सके। डीजीएफटी की कई योजनाओं का भी आधुनिकीकरण किया जाएगा।’ भारत के विदेश व्यापार पर आयोजित सीआईआई के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जीएसटी पासा पलटने वाला होगा जिससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एक से डेढ़ प्रतिशत की वृद्धि होगी। तेवतिया ने कहा, ‘जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात पर कर नहीं लगेगा और सरकार निर्यात पर शून्य दर को प्रतिबद्ध है।’
उन्होंने कहा कि जीएसटी से स्थानीय स्तर पर विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत घटेगी और साथ ही लॉजिस्टिक्स की लागत में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इससे सेवाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा। हम सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए राजस्व विभाग के साथ मिलकर काम करेंगे। तेवतिया ने बताया कि सरकार ने निर्यात पर जीएसटी के प्रभावों के आकलन के लिए कुछ कानूनी विशेषज्ञों की सेवाएं ली हैं। सेज की वकालत करते हुए तेवतिया ने कहा कि हम सेज पर और जोर देंगे और चाहेंगे कि वहां अधिक उद्योग परिचालन करें। निर्यात में गिरावट के रुख के उलट सेज से निर्यात बढ़ा है।