भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरूंधति भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा कि उपभोक्ता ऋण क्षेत्र में बुलबुला फूटने वाली स्थिति नहीं है। भट्टाचार्य की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब रिजर्व बैंक गवर्नर ने कुछ ही दिन पहले ढांचागत क्षेत्र के वित्तपोषण के नाम पर खुदरा ऋण क्षेत्र में बढ़ चढ़कर कर्ज दिये जाने पर चिंता जताई है।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हम इस क्षेत्र में बुलबुला फूटने वाली स्थिति में पहुंच गये हैं। जब तक गारंटी के मामले में हमारा बेहतर मानक बरकरार है तब तक ऐसी स्थिति नहीं हो सकती। हमें डिजिटल साधनों की भी मदद मिल रही है जिससे कि हमारे समक्ष बेहतर तस्वीर उभरती है।’ स्टेट बैंक चेयरपर्सन ने एक सवाल के जवाब में ये बातें कहीं। उनसे पूछा गया था कि क्या खुदरा ऋण क्षेत्र में हम बुलबुला फूटने की स्थिति में पहुंच रहे हैं।

भट्टाचार्य ने कहा कि खुदरा रिण क्षेत्र में अभी भी काफी कुछ किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में खुदरा ऋण का अनुपात उभरते देशों में सबसे कम है। यह अनुपात 10 प्रतिशत है जबकि मलेशिया में यह 30 से 35 प्रतिशत तक है। विकसित देशों में तो यह इससे भी अधिक है। मेरा मानना है कि हमारे समक्ष अभी भी काफी गुंजाइश है।’ भारत-अमेरिका वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की सालाना बैठक को संबोधित करते हुये भट्टाचार्य ने कहा कि देश में तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग को उसकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये कर्ज की जरूरत है। ‘इसलिये मेरा मानना है कि जो इस समय हो रहा है वह उनकी अधूरी जरूरतों को पूरा करने के लिये हो रहा है।’

रिजर्व बैंक के निर्वतमान गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले सप्ताह इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक परियोजनाओं के लिये कर्ज देने से नजरें चुरा रहे हैं और खुदरा कर्ज देने के लिये सक्रियता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आगामी एफसीएनआर-बी के विमोचन के बारे में पूछे जाने पर भट्टाचार्य ने कहा कि इससे तरलता पर दबाव पड़ेगा। ‘एफसीएनआर विमोचन के साथ नकदी का कुछ हिस्सा बाहर निकलेगा।

इसलिये हमारे लिये यह महत्वपूर्ण है कि हम नकदी की तरफ से संतोषजनक स्थिति बनाये रखें।’ उन्होंने कहा कि नकदी को तटस्थ स्तर पर बनाये रखने का रिजर्व बैंक का उपाय अच्छा है और इसे इसी तरह बनाये रखने की जरूरत है। ‘मुझे उम्मीद है कि नये गवर्नर उर्जित पटेल इसे इसी तरह बनाये रखेंगे।’ एक अन्य सवाल के जवाब में भट्टाचार्य ने कहा कि बैंक शुद्ध ब्याज मार्जिन (निम) को और दबाने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उन्हें प्रावधान रखना होता है।