अगर आप प्राइवेट नौकरी में हैं तो हर महीने आपकी सैलरी कुछ हिस्सा प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ (PF) के नाम पर कट जाता होगा। ऐसा सभी कंपनी कंर्मचारी के साथ होता है। किसी भी कंपनी या ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम करने वाले लोगों के बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने पीएफ फंड में जमा होता है और इतना ही योगदान यानी कॉन्ट्रिब्यूशन कंपनी की ओर से पीएफ में जाता है। कर्मचारी के बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने ईपीएफ अकाउंट में जाता है जबकि कंपनी का योगदान दो भागों में बटता है। जिसमें से 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस (EPS) यानी पेंशन फंड में जमा होता है और केवल 3.67 फीसदी हिस्सा ही ईपीएफ में जाता है। ईपीएफ में जमा पर सरकार द्वारा ब्याज दिया जाता है। ईपीएफ अकाउंट में कंपनी और कर्मचारी का हर महीने योगदान एक प्रकार का निवेश है। जिसका लाभ बाद में रिटायरमेंट फंड के रूप में मिलता है। 

एंप्लाइज प्रॉविडेंट फंड (EPF) एक रिटायरमेंट सेविंग स्‍कीम है, जिसे एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) द्वारा मैनेज किया जा रहा है। कर्मचारियों के रिटायरमेंट को ध्‍यान में रखकर एंप्लाइज प्रॉविडेंट फंड डिजाइन किया गया है। किसी भी कंपनी के ऐसे कर्मचारी, जो अपना रिटायरमेंट फंड बढ़ाना चाहते हैं उनके लिए भी ईपीएफओ वॉलेंटरी बेसिस पर एक विकल्प उपलब्ध कराता है। इसके जरिए रिटायरमेंट फंड बढ़ाने के लिए कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 100% हिस्सा ईपीएफ खाते में योगदान कर सकते हैं। हालांकि ऐसा करने के लिए कर्मचारियों को वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड यानी वीपीएफ अकाउंट खुलवाना होगा। वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड अकाउंट क्या है और ये कैसे काम करता है? ये अकाउंट आप कैसे ओपन करवा सकते हैं? वीपीएफ अकाउंट के फायदे सहित कई जरूरी पहलुओं के बारे में यहां समझ सकते हैं।

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क्या है वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड?

वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड अकाउंट ईपीएफ अकाउंट का एक्सटेंशन है। रिटायरमेंट फंड बढ़ाने के लिए वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड अकाउंट का इस्तेमाल किया जा सकता है। नौकरी पेशवर कर्मचारी अपने कंपनी की एचआर की मदद लेकर यह अकाउंट खुलवा सकते हैं। वीपीएफ अकाउंट ओपन हो जाने के वाद कर्मचारी ईपीएफओ द्वारा तय हिस्से से अधिक योगदान कर सकते हैं। हालांकि कंपनी की ओर से अब भी कर्मचारी के बैसिक सैलरी के 12 फीसदी हिस्से के बराबर रकम ही वीपीएफ फंड में डाली जाती है। संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कई कर्मचारी वीपीएफ का विकल्प चुनते हैं क्योंकि उन्हें कोई अन्य निवेश नहीं करना पड़ता है और यह आसान है क्योंकि रकम सीधे उनके सैलरी से काट ली जाती है।

सैलरी का कितना हिस्सा कर सकते हैं वीपीएफ में निवेश?

वीपीएफ में कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 100 फीसदी तक योगदान भी कर सकता है। इसके लिए कोई लिमिट नही है।

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कितना मिलता है रिटर्न?

वीपीएफ में जमा पर भी वही रिटर्न मिलता है जो ईपीएफ खाते में कर्मचारी और कंपनी के योगदान पर मिलता है। हालांकि सरकार समय-समय पर ब्याज दर में बदलाव करती रहती है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सरकार ने ईपीएफ में जमा रकम पर 8.25 फीसदी की दर से ब्याज दिया.

क्या है लॉक इन पीरियड और टैक्स बेनिफिट?

वीपीएफ का लॉक इन पीरियड 5 साल का है। 5 साल की नौकरी के दौरान वीपीएफ में जमा की गई रकम की निकासी पर कोई टैक्स नहीं लगता है।5 साल से पहले VPF खाते से निकासी पर कर्मचारी को अपने स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है। अगर कोई नौकरी पेशेवर शख्स दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार है या जब वह रिटायर हो जाता है, तो वह अपने वीपीएफ खाते से निकासी कर सकता है।

वीपीएफ खाते में निवेश पर कर्मचारियों को इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। वीपीएफ खाते में योगदान देकर प्राइवेट नौकरी पेशेवर लोग एक वित्त वर्ष में 1.50 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं। वीपीएफ खातें में जमा, उसपर मिले ब्याज और निकासी की रकम टैक्‍स फ्री होती है। इसमें निवेश ईईई (EEE) कैटेगरी का माना जाता है।

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ईपीएफ और वीपीएफ में अंतर

 ईपीएफवीपीएफ
योग्यताकोई भी भारतीयकोई भी नौकरी पेशेवर शख्स
टेन्योरन्यूनतम तक 15 सालरिटायरमेंट तक
ब्याज पर टैक्सब्याज पर टैक्स नहीं देना पड़ता हैटैक्स फ्री (ब्याज और निकासी)
टैक्स डिडक्शनधारा 80C के तहत लाभ मिलता हैधारा 80C के तहत लाभ मिलता है

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड खाते में कैसे करें निवेश और फायदे?

वीपीएफ खाता खुलवाना बहुत आसान है। इसके लिए आप जिस भी कंपनी में काम कर रहे हैं वहां के एचआर (HR) को इस बारे में बताइए कि आप अपना ईपीएफ में योगदान बढ़ाना चाहते हैं। इसके बाद एचआर के सुझाव पर प्रक्रिया से गुजरना होगा। हो सकता है कि वीपीएफ खाते के लिए आपको कोई फार्म भरकर जमा करने के लिए कहां जाए या आपसे कुछ जरूरी डिटेल साझा करने के लिए कहा जाए। प्रक्रिया के दौरान कर्मचारी से पूछा जाता है कि वह वीपीएफ खात में कितना योगदान करना चाहते हैं। सहमति मिलने पर सैलरी से वह रकम काट ली जाएगी और वीपीएफ खाते में जमा की जाएगी। बता दें कि वीपीएफ एक बेहतर टैक्स सेविंग विकल्प है। इसमें जमा पर बेहतर रिटर्न मिल जाता है और सीधे कर्मचारियों के सैलरी से सीधे वीपीएफ योगदान कट भी जाता है। वीपीएफ में भी आपका पैसा बिल्कुल सुरक्षित है क्योंकि ईपीएफओ इस रकम को लौटाने की गारंटी देता है। 

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड अकाउंट के लिए ईपीएफ अकाउंट का होना जरूरी है। बिना इस अकाउंट के वीपीएफ खाता संभव नहीं है। असल में वीपीएफ खाता ईपीएफ अकाउंट का एक्सटेंशन है। एक बार वीपीएफ खाता खुल जाने के बाद इसमें कम से कम 5 साल तक निवेश करना होता है। वीपीएफ खाता होने के फायदे क्या-क्या हैं जानिए।

रिटायरमेंट फंड बढ़ाने के लिए ओपन वीपीएफ खाते में कर्मचारी अपने बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 100 फीसदी योगदान कर सकता है। इस अकाउंट में जमा पर 8.25 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है।

तमाम बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान के फिक्स्ड डिपोजिट स्कीम से कहीं ज्यादा वीपीएफ खाते में जमा पर कर्मचारी लाभ उठा सकता है।

वीपीएफ खाते में अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है। हालांकि संगठित क्षेत्र में काम करने वाला कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता ही सिर्फ इसमें योगदान कर सकता है।

पांच साल के बाद अगर कर्मचारी वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड अकाउंट से पैसे निकालते हैं तो इसमें टैक्स का भुगतान भी नहीं करना होता है। इसमें जमा कर धारा 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम किया जा सकता है।

इसके अलावा संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी जब अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़कर नई कंपनी ज्वॉइन करते हैं तो वे अपने ईपीएफ खाते को ट्रांसफर भी करा सकते हैं। इसके लिए ईपीएफओ की ओर से विकल्प दिया गया है। ईपीएफ की तरह से वीपीएफ अकाउंट को भी ट्रांसफर किया जा सकता है। हालांकि नई कंपनी में जाने के बाद फिर से कर्मचारी को कंपनी के एचआर को बताना होगा कि आप वीपीएफ में निवेश करना चाहते हैं। एक बार VPF विकल्प चुन लेने के बाद कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक उसमें पैसा जमा करना जरूरी होता है।