दक्षेस देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत करने के उद्येश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए विशेष उद्देश्यीय इकाई का प्रस्ताव किया और व्यापार में तेजी लाने के लिए समान मानकों को अपनाने का आह्वान किया।

मोदी ने आज यहां 18वें दक्षेस सम्मेलन में नेताओं को संबोधित करते हुए व्यापार में तेजी लाने के मुद्दे पर कहा, ‘‘ आइए हम ‘दक्षेस व्यापार यात्री कार्ड’ के जरिए इसे अपनी कंपनियों के लिए और आसान बनाएं।’’

मोदी ने कहा कि दक्षेस देश अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ पाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ आज इस क्षेत्र के कुल वैश्विक व्यापार में से हमारे बीच का व्यापार पांच प्रतिशत से भी कम है। इसमें हल्के स्तर के व्यापार में भी दक्षेस मुक्त व्यापार क्षेत्र के तहत होने वाला व्यापार क्षेत्रीय व्यापार के 10 प्रतिशत से भी कम है।’’

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की सबसे बड़ी कमजोरी और सबसे बड़ी जरूरत बुनियादी ढांचा है। बैंकाक या सिंगापुर की यात्रा करने के मुकाबले इस क्षेत्र में यात्रा करना ज्यादा कठिन है।

मोदी ने बुनियादी ढांचा विकास को सर्वाधिक प्राथमिकता पर बल देते हुए कहा कि प्रस्तावित विशेष प्रयोजन वाली सुविधा से दक्षेस क्षेत्र की परियोजनाओं के वित्तपोषण में मदद मिलेगी। उन्होंने भारत में कारोबार करने की व्यवस्था आसान करने के लिए दिए जा रहे जोर का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अवधारणा का विस्तार पूरे दक्षेस क्षेत्र में करने की जरूरत है।

मोदी ने कहा ‘‘ मेरा वायदा है कि सीमा पर हमारी सुविधाओं से व्यापार धीमा नहीं होगा बल्कि उसमें तेजी ही आएगी, आइए हम अपने नियम-प्रक्रियाओं को सरल, सुविधाओं को और अच्छा, अपने मानकों को समान तथा अपनी कागजी कार्रवाइयों को कम बोझिल बनाएं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय एक पंजाब से दूसरे पंजाब तक माल पहुंचाने की यात्रा 11 गुना ज्यादा लम्बी और लागत चार गुना ज्यादा हो जाती है क्यों कि माल दिल्ली, मुंबई, दुबई और कराची हो कर जाता है।

मोदी ने माना कि अपने आकार और भागोलिक स्थिति के चलते भारत का भी अपना दायित्व है। उन्होंने कहा ‘‘मुझे पता है कि आपके भी कई उत्पादों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए भारत की परिक्रमा करनी होती है।’’

उन्होंने कहा ‘‘हमें अपने उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी घटानी चाहिए और व्यापार के लिए ज्यादा से ज्यादा सीधे मार्ग का उपयोग करना चाहिए। मुझे पता है कि भारत को नेतृत्व करना है और हम इसमें अपने हिस्से का काम जरूर करेंगे। मुझे उम्मीद है कि आप भी वही करेंगे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा दक्षिण एशिया से ज्यादा सामूहिक प्रयास की जरूरत दुनिया में कही नहीं है लेकिन कहीं भी ‘इससे इतना कम प्रयास नहीं है।’ मोदी ने कहा कि यद्यपि भारतीय कंपनियां विदेशों में अरबों डालर का निवेश कर रही हैं लेकिन उनका एक प्रतिशत से भी कम निवेश दक्षेस क्षेत्र में जा रहा है।

उन्होंने कहा ‘‘हम आपकी चिंताओं का समाधान करेंगे और आप को भारत में बराबरी का अवसर दिया जाएगा। लेकिन मैं आपको भारतीय निवेश आकर्षित करने, औ भारतीय बाजार के लिए उत्पादन करने तथा अपने युवाओं के लिए रोजगार के मौके पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘मैं ऐसे भविष्य की कल्पना कर रहा हूं जबकि आपकी कंपनियां अपने देश में निवेश के लिए भारत से आसानी से धन जुटा सकेंगी, हमारे पास एक दूसरे की सीमाओं तक फैले औद्योगिकी गलियारे होंगे जिमें हम अपने स्वाभाविक जुड़ाव और सीमावर्ती प्रांतों के संबद्ध जीवन का फायदा उठा रहे होंगे।’’

सदस्य देशों के बीच व्यापार गतिविधियां बढ़ाने के लिए मोदी ने कहा कि भारत अब दक्षेस देशों के लिए तीन से पांच साल का कारोबारी वीजा प्रदान करेगा। दक्षेस देशों के साथ विभिन्न प्रयासों और पहलों के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि भारत जल्दी ही नयी व्यवस्था शुरू करेगा ताकि मालदीव की तेल की जरूरत पूरी की जा सके।
मोदी ने कहा ‘‘भारत और बांग्लादेश ने रेल, सड़क, बिजली और पारगमन संपर्कों के जरिए अपना संबंध प्रगाढ़ किया है।’’ नेपाल के साथ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग का नया दौर शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘दूरी और कठिनाई ने भारत और अफगानिस्तान को नहीं रोका है और भारत तथा पाकिस्तान के बीच बस एवं रेलगाड़ी संपर्क बना हुआ है।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण एशियाई भागीदारों को अपने वस्तुओं के लिए 99.7 शुल्क मुक्त प्रवेश की सुविधा प्रदान की है और वह अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए भी तैयार है।

मोदी ने कहा ‘‘भारत के लिए दशक भर से अधिक समय में दक्षिण एशिया को करीब आठ अरब डॉलर की सहायता प्रदान करना सौभाग्य की बात रही है। मौजूदा समय में यह बड़ी राशि नहीं नजर आती हो लेकिन हम इसके आभारी हैं कि अपने क्षेत्र के कुछ भाइयों-बहनों के जीवन में बदलाव करने का मौका मिला।’’
मोदी के मुताबिक भारत की दृष्टि में – व्यापार, निवेश, सहायता, हर क्षेत्र में सहयोग, हमारी जनता के बीच संपर्क – दक्षेस के पांच स्तंभ हैं।