लोन देने वाले बैंकों और एनबीएससी (Non-Banking Finance Company) कंपनियों की ओर से कई बार लोन लेने वाले ग्राहकों से गारंटर लाने की मांग की जाती है। बैंक और कंपनियां ऐसा तभी करती है, जब उन्हें लोन लेने वाले व्यक्ति की वापस करने की क्षमता पर कोई शक होता है। लेकिन आपको किसी के लोन की गारंटी देते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए। किसी को दी गई लोन गारंटी आपके क्रेडिट स्कोर, जॉब प्रोफाइल और आपके लोन लेने पर भी प्रभाव डाल सकता है। आइए उन जोखिम समझते हैं जो लोन की गारंटी देने के बाद आपको प्रभावित कर सकते हैं।
देनदारी का जोखिम: बैंक हमेशा लोन लेने वाले ग्राहक की आय, क्रेडिट स्कोर, लोन वापस करने की क्षमता, उसके व्यापार या फिर नियोक्ता की प्रोफाइल (सरकारी या प्राइवेट) और लोन की गारंटी देने वाले व्यक्ति की क्षमता का आकलन करने के बाद ही लोन देती है। अगर लोन लेने वाला व्यक्ति समय से लोन का भुगतान नहीं कर पाता है तो उसकी जगह लोन गारंटर को ऋण का भुगतान करना होगा।
क्रेडिट स्कोर:लोन में गारंटर लोन लेने वाले व्यक्ति के समान ही भागीदार होता है। अगर किसी व्यक्ति के लोन की आपने गारंटी दी है और वो व्यक्ति समय से लोन नहीं भर पाता है, फिर आपका क्रेडिट स्कोर भी कम हो सकता है। ऐसे में लोन की गारंटी देने से पहले आपको उस व्यक्ति के वापस करने की क्षमता के बारे में अच्छे से जानकारी जुटाने चाहिए।
भविष्य में लोन मिलने की संभावना को कम करता है: अगर आप किसी के लोन की गारंटी देते हैं, इससे उस लोन को बैंकों की ओर से आपकी देनदारी में शामिल किया जाता है। ऐसे में किसी भी बैंक में लोन के लिए आवेदन करने पर आपकी देनदारी के चलते कम राशि का ऑफर दिया जाएगा।
लोन गारंटी से पीछे नहीं हट सकते: अगर आप किसी लोन में गारंटर बन रहे हैं तो लोन की अवधि के बीच में आप पीछे नहीं हट सकते हैं। ऐसा केवल एक ही स्थिति में किया जा सकता है जब लोन लेने वाला व्यक्ति किसी नए गारंटर को लेकर आए और बैंक उससे सहमत हो।