सरकारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 0.71 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि अक्टूबर में यह 0.25 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति में आई यह बढ़ोतरी उपभोक्ताओं के रोजमर्रा के खर्चों पर असर डाल सकती है। सब्ज़ियों, प्रोटीन-समृद्ध खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में गिरकर रिकॉर्ड न्यूनतम 0.25 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। जिसका मुख्य कारण जीएसटी दरों में कटौती से सामान के दाम कम होना और अनुकूल आधार प्रभाव था।
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नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति नवंबर में 3.91 प्रतिशत रही। जबकि अक्टूबर में यह 5.02 प्रतिशत थी। NSO ने कहा कि नवंबर 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से सब्ज़ियों, अंडे, मांस व मछली, मसालों, ईंधन और रोशनी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई है।
नवंबर में ईंधन और लाइट मुद्रास्फीति 2.32 प्रतिशत रही जबकि अक्टूबर 2025 में यह 1.98 प्रतिशत थी।
ICRA ने कहा कि F&B सेक्टर में नवंबर में अक्टूबर की तुलना में 12 सब-सेगमेंट्स में से 8 में सालाना मुद्रास्फीति (YoY) बढ़ी। फिर भी सब्ज़ियां और दालें लगातार दसवें महीने तक अवमूल्यन (deflation) क्षेत्र में रहीं। जबकि मसाले इस क्षेत्र में लगातार 17वें महीने टिके रहे। ये तीन आइटम वजन के हिसाब से F&B सेक्टर का लगभग 24% हिस्सा बनाते हैं और इन सेगमेंट्स के रुझानों ने FY26 के पहले 8 महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति पर दबाव डाला है।
भाषा के इनपुट के साथ
